- रोटोमैक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ IT विभाग ने तेज की कार्रवाई
- कर चोरी जांच के संबंध में 11 बैंक खातों में लेन-देन को रोक दिया
कानपुर। देश इस वक्त बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है क्योंकि जिस तरह से बैंक वालों की मेहरबानी से रोज ही कोई बड़ा कारोबारी देश को चूना लगाने में शामिल निकल रहा है उससे तो नौबत यह आती नजर आ रही है कि ऐसा न हो कि इस धोखाधड़ी पर धोखाधड़ी के चलते कहीं कम न पड़ जायें जेल की बैरकें और हथकड़ी।
गौरतलब है कि नीरव मोदी मेहुल चोकसी के अलावा जिस तरह से नए नए खिलाड़ी धीरे धीरे सामने आ रहे है। वह वाकई बेहद काबिले गौर है। अब इसी क्रम में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के बाद अब आयकर विभाग ने रोटोमैक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि उनके खिलाफ कथित कर चोरी जांच के संबंध में 11 बैंक खातों में लेन-देन को रोक दिया गया है।
अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न बैंक शाखाओं में उनके खातों पर बीती रात लेनदेन पर रोक लगाई गई। शुरुआती जब्ती कार्रवाई करीब 85 करोड़ की ‘बकाया कर मांग’ को ध्यान में रखकर की गई है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा पिछली जनवरी में समूह के 3 खातों में लेन-देन पर रोक लगाई गई थी।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय 7 बैंकों के समूह द्वारा कानपुर के इस समूह को दिए गए 3,695 करोड़ रूपए के कर्ज में धोखाखड़ी की जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा से मिली शिकायत पर रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशक विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी, बेटे राहुल कोठारी और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और छापेमारी भी की थी।
रोटोमैक कंपनी को 7 बैंकों ने लोन दिया था। विक्रम कोठारी पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मुंबई शाखा की 485 करोड़, इलाहाबाद बैंक कोलकाता शाखा की 352 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा (लीड बैंक) की 600 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया की 1365 करोड़ और इंडियन ओवरसीज बैंक की 1000 करोड़ रुपए की बकाएदारी है। बैंकों का आरोप है कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया।
इस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों पर ऑथराइज्ड जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफाल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था।
बेहद ही दिलचस्प और गौर करने वाली बात है कि कानपुर का रहने वाला विक्रम कोठारी पेशे से एक कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखता है। उनके पिता मनसुख कोठारी ने सन् 1973 में पान पराग ब्रांड की शुरुआत की थी। विक्रम कोठारी ने 1980 के दशक में कोठारी नाम से अपने स्टेशनरी बिजनेस की शुरूआत की।
शुरुआती समय में साइकिल पर पान मसाला बेचने वाला विक्रम कोठारी देखते ही देखते 1992 में एक ब्रांड बन गया। उनके भाई दीपक कोठारी मशहूर पान मसाला कंपनी पान पराग के मालिक हैं।
पहले दोनों भाई पिता के कारोबार में साझेदार थे लेकिन 1990 के दशक में दोनों भाइयों के बीच कारोबार का बंटवारा हो गया। एक ओर विक्रम कोठारी को रोटोमेक का मालिकाना हक मिला और वहीं दूसरी ओर उसके भाई दीपक कोठारी को पान मसाला का कारोबार मिला।
पहले पहल दोनों भाई पिता के कारोबार में साझेदार थे किन्तु 1990 के दशक में दोनों भाइयों के बीच कारोबार का बंटवारा हो गया। एक ओर विक्रम कोठारी को रोटोमेक का मालिकाना हक मिला और वहीं दूसरी ओर उसके भाई दीपक कोठारी को पान मसाला का कारोबार मिला।