नई दिल्ली. देश में अभी जून के महीने में ही लागू वन नेशन वन राशन कार्ड योजना की तर्ज पर वन नेशन वन गोल्ड की व्यवस्था को शुरू किया जा सकता है. इस व्यवस्था के तहत देश के किसी भी राज्य में सोना की कीमत एकसमान होगी. इस व्यवस्था को देश में लागू करने के लिए तेजी से विचार किया जा रहा है.
बता दें कि भारत में ज्यादातर सोना दूसरे देशों से आयात किया जाता है और इसका दाम एक होता है, अलग-अलग राज्य नहीं, बल्कि एक राज्य के अलग-अलग शहर और शहरों में भी अलग-अलग दुकानों में सोना की कीमतें भी अलग-अलग होती हैं. देश के विभिन्न राज्यों में सोना की कीमत ज्वेलरी ऐसोएिशन्स द्वारा तय की जाती है और फिर दुकानदार अपने मुनाफा के हिसाब से उसे निर्धारित कर लेते हैं. इस वजह से किसी दुकान में सोने की दर कुछ होती है और दूसरी दुकान में कुछ और. दुकानदारों की ओर से कीमतों में किए जाने वाले इस घालमेल से सोने की मांग में गिरावट की आशंका अधिक रहती है.
मीडिया की खबरों के अनुसार, हालांकि कुछ बड़े ज्वेलर्स की ओर से मांग की गई है कि सरकार वन नेशन वन गोल्ड की व्यवस्था को लागू कराए, ताकि पूरे देश में इसकी कीमत एकसमान हो. हालांकि, इन ज्वेलर्स की मांग पर सरकार क्या कदम उठाती है, यह अभी साफ नहीं है.
सोना की कीमतों पर बात करें, तो उत्तर भारत में इसकी रेट कुछ और होती है, तो दक्षिण भारत में कुछ और. उत्तर भारत में सोना के दाम बीते कई साल में ज्यादा बढ़े हैं, तो दक्षिण भारत में इसके मुकाबले कीमत थोड़ी कम है. बताया यह जाता है कि दक्षिण भारत के ज्वेलर्स ग्राहकों से उत्तर भारत के मुकाबले थोड़ा कम मार्जिन वसूलते हैं.
भारत में सितंबर तिमाही में गोल्ड की डिमांड 30 फीसदी घट गई. वर्ल्ड काउंसिल के मुताबिक जुलाई से सितंबर के बीच देश में सोने की मांग 30 फीसदी घट कर 88.6 टन पर आ गई. इसके साथ ही इस अवधि में ज्वैलरी की मांग 48 फीसदी घट कर 52.8 टन हो गई.
पिछले साल इस तिमाही में गोल्ड की मांग 101.6 टन थी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक जुलाई से सितंबर महीने में ज्वैलरी की मांग 29 फीसदी घट कर 24,100 करोड़ रुपये की रह गई. हालांकि इस दौरान गोल्ड में निवेश के लिए सोने की डिमांड 33.8 टन रही.पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान निवेश के लिए सोने की डिमांड 22.3 टन रही थी.