नई दिल्ली. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी कुल 58 तरह की सर्जरी करेंगे. उन्हें जनरल सर्जरी (सामान्य चीर-फाड़), ईएनटी (नाक, कान, गला), ऑप्थेलमॉलजी (आंख), ऑर्थो (हड्डी) और डेंटल (दांत) से संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी सर्जरी कर पाएंगे. भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने आयुर्वेद डॉक्टरों को दिए गए इस अधिकार का पुरजोर विरोध किया है.
उसने इसे फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से एंट्री का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे में नीट जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा. इसके साथ ही, संस्था ने इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की.
इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने सीसीआईएम के इस फैसले को एक तरफा और उद्दंडतापूर्ण बताया है. उसने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी के अयोग्य बताते हुए सीसीआईएम की कड़ी आलोचना की है. संस्था की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, आईएमए ने लक्ष्मण रेखा खींच रखी है जिसे लांघने पर घातक परिणाम सामने आएंगे.’ उसने आगे कहा, आईएमए, काउंसिल को सलाह देता है कि वो प्राचीन ज्ञान के आधार पर सर्जरी का अपना तरीका इजाद करे और उसमें आधुनिक चिकित्सा शास्त्र पर आधारित प्रक्रिया से बिल्कुल दूर रहे.
इसके साथ ही, आईएमए ने सरकार से मांग की कि वो ऐसे आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के डॉक्टरों की पोस्टिंग भारतीय चिकित्सा के कॉलेजों में नहीं करे. उसने सवाल किया कि अगर इस तरह के शॉर्टकट्स को मान्यता दी जाएगी तो फिर हृश्वश्वञ्ज का महत्व क्या रह जाएगा? आईएमए ने सरकार से अपील करने के साथ-साथ अपने सदस्यों और बिरादरी के लोगों को भी चेतावनी दी कि वो किसी दूसरी चिकित्सा पद्धति के विद्यार्थियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शिक्षा नहीं दें.
आईएमए ने कहा, वो विभिन्न पद्धतियों के घालमेल को रोकने का हरसभव प्रयास करेगा. उसने कहा, हरेक सिस्टम को अपने दम पर बढऩे दिया जाए.