नई दिल्ली. बुरे दिन इंसानों के ही नहीं फसलों के भी आते हैं. और जब आते हैं तो एक के बाद एक बुरे दिनों की लाइन सी लग जाती है. छोटी इलायची के साथ भी शायद कुछ ऐसा ही हुआ है. 4 महीने पहले तक जो इलायची 7 हज़ार रुपये किलो बिक रही थी उसी इलायची को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. नतीजा यह है कि होलसेल रेट में इलायची की बोली 1500 रुपये से 2 हज़ार रुपये तक की बोली लग रही है. लेकिन अर्श से फर्श पर रेट आने के बाद भी इलायची को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. इलायची के सबसे बड़े ग्राहकों ने भी भारतीय इलायची से मुंह फेर लिया है.
गौरतलब रहे इंडियन स्पाइस बोर्ड पर रोज़ाना इलायची की बोली लगती है. यहां हर रोज इलायची के रेट तय होते हैं. लेकिन हाल यह है कि जनवरी के आखिर से अभी तक इलायची का भाव 2 हज़ार रुपये किलो से ऊपर नहीं गया है. न्यूनतम रेट 1528 रुपये किलो तक जा रहा है. लेकिन कारोबारियों के लिए हैरत की बात यह है कि इस बोर्ड पर तीन-चार मंडियों में आने वाली इलायची की बोली लगती है, 45 हज़ार किलो से लेकर 60 हज़ार किलो तक इलायची बिकने के लिए बोली में शामिल होती है. लेकिन बीते कुछ वक्त से पूरा माल बिक नहीं रहा है.
इलायची कारोबार से जुड़े जानकारों की मानें तो इलायची के दाम गिरने की दो सबसे बड़ी वजह हैं कोरोना-लॉकडाउन और खड़ी देशों से इलायची की डिमांड का न आना. कोरोना-लॉकडाउन के चलते घरेलू बाज़ार में इलायची की डिमांड कम हो गई. इसके चलते अभी तक बाज़ार में सुधार नहीं आया है. लॉकडाउन के चलते एक्सपोर्ट भी नहीं हो पाई.
वहीं दूसरे ओर खाड़ी देशों ने इलायची की खरीद न के बराबर कर दी है. इसके पीछे की बड़ी वजह इलायची उगाने का तरीका बताया जा रहा है. खाड़ी देशों में इलायची के खरीदारों का कहना है कि इलायची उगाने में ऐसी चीज़े इस्तेमाल की जा रही हैं जो हमारे यहां पसंद नहीं की जाती है. गौरतलब रहे खाड़ी देश भारतीय इलायची के बड़े खरीदार हैं. सबसे बड़े ग्राहक सऊदी अरब ने भी इलायची की खरीद कम कर दी.