समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की अदूरदर्शी कुरीतियों के कारण बेरोजगारी ने भी अपना विकराल रूप दिखाया है। इस दुर्गति की दोषी है अर्थव्यवस्था विनाशक भाजपा सरकार। इस बेकारी ने जहां हजारों युवाओं का भविष्य अंधेरा कर दिया है वहीं हर साल लाखों नौकरियां देने के मुख्यमंत्री जी के दावे का झूठ भी सामने ला दिया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आने वाले दिनों में आर्थिक मंदी के कारण बेरोजगारी की स्थिति और ज्यादा विस्फोटक हो सकती है।
हर साल लाखों को रोजगार का दावा करते भाजपा मुख्यमंत्री थकते नहीं परन्तु सच्चाई यह है कि शिक्षकों की भर्ती हो या डॉक्टरों की अथवा विभागीय रिक्तियों की हर जगह रुकावटें दिखती हैं। वर्ष 2016 में समाजवादी सरकार में दारोगा भर्ती निकली थी, चयन हुआ और प्रशिक्षण भी दिलाया गया लेकिन अभी तक उनको न तो ज्वाइनिंग मिली हैं और नहीं उनको सैलरी मिली है।
भाजपा सरकार ने इसी तरह इन्वेस्टमेंट मीट का खूब प्रचार किया नए रोजगार के दावे किए गए, बड़े-बड़े विज्ञापन छपे, कई एमओयू हुए पर जमीन पर एक भी उद्योग नहीं लगा। समाजवादी सरकार के समय जो आईटी हब बना, अमूल प्लांट लगा, सैमसंग आया, आज भी उन्हें ही दिखाकर मुख्यमंत्री जी अपनी पीठ थपथपा लेते हैं। भाजपा सरकार में न मेडिकल कॉलेज बने, न एम्स चालू हो पाए और नहीं नए विश्वविद्यालय बने। इसी का नतीजा है कि नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में यूपी का प्रदर्शन हर क्षेत्र में निचले पायदान पर दिखाया गया है।
सचमुच बेरोजगारी के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं। अप्रैल 2020 में 12 करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी गई। 30 मई को समाप्त सप्ताह में बेकारी दर 17.88 फीसदी पर पहुंच गई। शहरी बेरोजगारी में 10.8 फीसदी वृद्धि हुई। कोरोना काल में लॉकडाउन में कई कम्पनियां बंद रही। जिनकी नौकरियां छूट गई हैं उन्हें दोबारा मुश्किल से रोजगार मिलेगा।
भाजपा वस्तुतः बड़े व्यापारियों की पार्टी है। इस वजह से छोटे कारोबारियों और दुकानदारों की हालत खराब है। वे ही स्थानीय स्तर पर रोजगार देते हैं। भाजपा सरकार ने कोई राहत न देकर उन्हें भी आर्थिक तंगी में फंसा दिया है। भाजपा सरकार के रहते जनकल्याण का कोई काम नहीं हो पाएगा। जनता को राहत और बेकारों को काम तभी मिलेगा जब 2022 प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी।