लखनऊः 25 जून, 2021
शासन द्वारा निर्देश दिये गये है कि विभिन्न न्यायालयों मे चल रहे मुकदमो में प्रभावी पैरवी कर अपराधियों को अधिकतम दण्ड दिलाने हेतु गवाहो की हर हाल में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जायें। साक्षी न्याय प्रणाली की आंख और कान है। जघन्य अपराधों के मामले में साक्षियो को जान माल के खतरे पर हर सम्भव कानूनी संरक्षण नियमानुसार राज्य द्वारा प्रदान किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि कानून व्यवस्था को बनाये रखने व अपराध स्थिति पर नियंत्रण हेतु मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के परिपे्रक्ष्य में साक्षी सुरक्षा योजना, 2018 प्रदेश में लागू है। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपराधिक मामलों की जांच, अभियोजन और विचारण के दौरान साक्षियों को गवाही देने के मामले में किसी भी प्रकार से धमकाया अथवा डराया न जाय।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया है कि शासन द्वारा प्रदेश के अभियोजन विभाग सहित समस्त जिला अधिकारी, पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक से अपेक्षा की गई हैं कि साक्षी सुरक्षा योजना 2018 के प्रावधानों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया जाय। शासन द्वारा कहा गया है कि साक्षियों को उचित सुरक्षा प्राप्त न होने पर संबंधित पुलिस अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जायेगा। जिलाधिकारियों एवं पुलिस मुख्यालय के जोनल स्तर के अधिकारियों से इस योजना की गहन समीक्षा प्रत्येक माह सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये गये है।
अवस्थी ने बताया कि प्रत्येक जिले में साक्षी सुरक्षा समिति गठित है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश इसके अध्यक्ष एवं जिलाधिकारी सदस्य सचिव तथा जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक सदस्य नामित है। उक्त सुरक्षा समिति द्वारा विटनेस प्रोटेक्शन आवेदन प्राप्त होने पर विटनेस प्रोटेक्शन आर्डर पारित किया जायेगा। इसमे ’’विटनेस प्रोटेक्शन मेजर्स’’ लेने के संबंध मे विस्तृत विवरण होगा और विटनेस प्रोटेक्शन आर्डर को विटनेस प्रोटेक्शन सेल के माध्यम से लागू कराया जायेगा।
अपर मुख्य सचिव, गृह ने बताया इस योजना का व्यापक प्रचार प्रसार कराये जाने के निर्देश दिये गये है। उन्होंने कहा है कि अन्वेषण आधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इस योजना के बारे में तथा इसकी मुख्य विशेषताएं साक्षियों को बताएं। इस योजना की जानकारी पुलिस मुख्यालय प्रत्येंक थाने तक पहुॅचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से प्रयास करें तथा यह भी सुनिश्चित किया जाय कि इस योजना का उचित लाभ साक्षियों को प्राप्त हो सके।
इस योजना के माध्यम से कानून का शासन बनाए रखने के लिए न्यायिक व्यवस्था में साक्षी द्वारा साक्ष्य देने अथवा विधि प्रर्वतन एजेंसियों और जांच अधिकारियों के साथ बिना किसी धमकी अथवा प्रतिहिंसा से निडर होकर सहयोग करने हेतु उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। साक्षी सुरक्षा योजना का लक्ष्य दांडिक विधि प्रवर्तन एजेंसियांे और न्याय के समग्र प्रशासन को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करने में शामिल व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करके विधि प्रवर्तन को बढ़ावा देना है।
किसी अपराध की जांच अथवा विचारण के दौरान संरक्षण की मांग करते हुए आवेदन निर्धारित प्रपत्र मंे सक्षम प्राधिकरण के समक्ष उसके सदस्य सचिव के माध्यम से दायर किया जा सकता है। सक्षम प्राधिकरण द्वारा साक्षी संरक्षण आवेदन पर समस्त सुनवाई पूर्ण गोपनीयता रखते हुये गुप्त रूप से होगी। आवेदन का निस्तारण पुलिस प्राधिकारियों से खतरा विश्लेषण रिपोर्ट प्राप्त होने के पांच कार्य दिवसों के भीतर किया जाएगा। संरक्षण आदेश पारित होने पर, सक्षम प्राधिकरण इसके कार्यान्वयन की माॅनिटरिंग करेगा और इस मामले में प्राप्त अनुवर्ती कार्यवाही रिपोर्टो के अनुसार उसकी समीक्षा भी करेगा।
आवेदन प्राप्त होने पर सक्षम प्राधिकरण का सदस्य सचिव खतरा विश्लेषण रिपोर्ट मंगवाएगा। सक्षम प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने के लिए साक्षी अथवा उसके परिवार के सदस्यों अथवा उचित समझे जाने वाले किसी अन्य व्यक्ति से पूछताछ करेगा कि क्या पहचान संरक्षण आदेश पारित करने की आवश्यकता है। आवेदन की सुनवाई के दौरान, साक्षी की पहचान किसी व्यक्ति के समक्ष प्रकट नही की जाएगी, क्योंकि इससे साक्षी की पहचान होने की संभावना रहती है। तत्पश्चात सक्षम प्राधिकरण अभिलेख में उपलब्ध सामग्री के अनुसार आवेदन निरस्त कर सकता है। सक्षम प्राधिकरण द्वारा एक बार साक्षी की पहचान का संरक्षण संबंधी आदेश जारी करने के बाद, साक्षी संरक्षण प्रकोष्ठ का दायित्व यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे साक्षी या उसके परिवार के सदस्यों के नाम/वंश/पेशा/पता/डिजिटल फुटप्रिंटों सहित उसकी पहचान की पूर्ण रूप से सुरक्षा हो सके।
ऐसे मामलो में जहां पर साक्षी द्वारा पहचान में परिवर्तन का अनुरोध किया जाता हे तो खतरा विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकरण द्वारा साक्षी को नई पहचान देने का निर्णय लिया जा सकता है। नई पहचान देने में, नया नाम/पेशा/पता प्रदान करना और सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वीकार्य सहायक दस्तावेज उपलब्ध करवाना शामिल है। इन नई पहचानों के कारण साक्षी विद्यमान शैक्षिक/व्यावसायिक/सम्पत्ति अधिकारों से वंचित नही होगा।
साक्षी द्वारा दूसरी जगह पर बसाने का अनुरोध किया जाता है तो खतरा विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा साक्षी को दूसरी जगह पर बसाने का निर्णय लिया जा सकता है। सक्षम प्राधिकरण साक्षी की सुरक्षा, कल्याण और कुशलता को ध्यान में रखते हुए साक्षी को भारत संघ के किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में सुरक्षित स्थान पर बसाने का आदेश दे सकता है। इन खर्चो का वहन साक्षी संरक्षण निधि से किया जाएगा। यदि साक्षी या पुलिस प्राधिकरण सक्षम प्राधिकरण द्वारा लिए गए निर्णय से असंतुष्ट है तो, सक्षम प्राधिकरण द्वारा आदेश पारित किए जाने के 15 दिन के भीतर समीक्षा आवेदन किया जा सकता है।