आज हर माता-पिता की एक ही शिकायत है कि उनका बच्चा घंटों मोबाइल से चिपका रहता है। मोबाइल पर कई तरह की चीजें देखने की वजह से उनकी भाषा खराब होने के साथ स्वाभाव भी चिड़चिड़ा हो गया है। आज सोशल मीडिया हर व्यक्ति की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। व्यक्ति चाहते हुए भी खुद को इस लत से नहीं निकाल पा रहा है। समस्या तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब यह लत बड़ों को देखते-देखते बच्चों को भी अपनी गिरफत में लेने लगती है। ऐसे में पैरेंट्स होने के नाते आपको यह पता होना चाहिए कि बच्चे के विकास पर सोशल मीडिया का क्या असर पड़ता है।आपको बता दें, बच्चों का लंबे समय तक मोबाइल और टीवी पर समय बिताना उनके दिमाग पर गहरा असर छोड़ सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं सोशल मीडिया पर देर तक समय बिताने के नुकसान और माता-पिता बच्चों की यह लत कैसे छुड़वा सकते हैं।
मानसिक बदलाव- आजकल बच्चे घंटों फोन पर आंख लगाए गेम्स खेलते रहते हैं। अगर कुछ समय के लिए उनसे फोन ले लिया जाए तो उनमें गुस्से और चिड़चिड़ापन दिखना आम बात हो गई है। सोशल मीडिया की यह लत उनमें आने वाले मानसिक बदलाव की निशानी मानी जा सकती है। सोशल मीडिया इतना बड़ा है कि बच्चा कहां, कब और कैसे क्या जानकारी ले रहा है, आप उस पर कंट्रोल नहीं रख सकते हैं। ऐसी स्थितियां बच्चों को अश्लील, या हानिकारक वेबसाइटों तक पहुंचा सकती हैं, जो उनकी सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
डिप्रेशन का मुख्य कारण- इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग करने वाले लोगों में डिप्रेशन (अवसाद) की चपेट में आने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। यह समस्या विद्यार्थियों और किशोरों में अधिक पाई जाती है। ऐसे लोगों में बेचैनी की समस्या और अपने दैनिक कार्यों को अच्छे से न निपटने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। छोटी उम्र में बच्चे अच्छे और बुरे में फर्क नहीं कर पाते हैं और सोशल मीडिया आसानी से उनकी सोच और व्यवहार को बदल सकता है।
अनिद्रा का शिकार- आज इंटरनेट लोगों में अनिद्रा की बीमारी फैला रहा है। मोबाइल एडिक्डिशन के चलते बच्चे हों या बड़े रात को सभी खाली समय मिलने पर सोशल मीडिया पर ब्राउज़िंग करना ज्यादा पसंद करते हैं। जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है और यहीं से व्यक्ति Insomnia से पीडित होना शुरू हो जाता है।
समय का दुरुपयोग- घंटों मोबाइल पर लगे रहने वाले बच्चों को पता ही नहीं चलता कि कब उन्होंने अपने कई घंटे मोबाइल पर ही गुजार कर खराब कर दिए हैं। जिसके बाद उनके पास पढ़ाई जैसी अन्य महत्वपूर्ण काम करने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं बचता।
इंटरनेट एडिक्शन– इंटरनेट की लत किसी नशे की लत से कम नहीं है। सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताने से व्यक्ति अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है। अपने आस पास घट रही घटनाओं से अचेत रहते हुए वह अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहता है। जिसका सीधे असर उसकी मानसिक स्थिति पर तो पड़ता ही है साथ ही निजी जीवन में भी उसके रिश्ते कमजोर होने लगते हैं l
इन टिप्स की मदद से दूर करें बच्चों की मोबाइल-टीवी की लत-
-अभिभावकों को बच्चों की मोबाइल और टीवी की लत छुड़वाने के लिए खुद उनके साथ कुछ वक्त बिताने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके बच्चे बेहतर महसूस करेंगे और उनके दिमाग का भी अच्छा विकास होगा।
-माता-पिता अपने बच्चे को अपने पास बैठाकर अपने साथ अच्छी चीजें, अच्छी सीख देने वाली फिल्में, कहानियां, धार्मिक चीजें आदि दिखा सकते हैं। इससे बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ सकता है।
– बच्चे का मोबाइल देखने का एक टाइम फिक्स कर दें। ताकि उसका कम से कम समय मोबाइल पर खराब हो।
-खुद भी सारा टाइम मोबाइल पर न लगे रहें। ऐसा करने से बच्चे को लगेगा कि आप उस पर जबरदस्ती कर रहे हैं।
-अपने बच्चों को मोबाइल देखने की जगह ऐसे काम करने के लिए प्रेरित करें जैसे-पेड़-पौधे लगाना, उन्हें पानी देना, पेटिंग आदि करना। ऐसा करते समय उसके काम की तरीफ करें और उसे उनके लाभ के बारे में भी बताएं।
-अपने बच्चों के सोने के कमरे में कभी भी टीवी, लैपटॉप, या मोबाइल फोन ना रखें।
-अपने बच्चे से इस बात पर जरूर चर्चा करें कि उन्हें वीडियो गेम्स, फिल्म और टीवी प्रोग्राम में क्या पसंद और नापसंद है।