नई दिल्ली. नये आईटी नियमों को लेकर सरकार और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट टि्वटर के बीच का विवाद अब तक खत्म नहीं हुआ है. संसद की सूचना प्रौद्योगिकी समिति ने फेसबुक और गूगल को बैठक के लिए आमंत्रित किया है. इस बैठक में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा होगी.
इस बैठक में टि्वटर को आमंत्रित नहीं किया गया है. संसद की समिति ने इस बैठक में सिर्फ गूगल और फेसबुक को बुलाया है. 25 मई से लागू हुए नए आईटी नियमों के अनुसार अब तक टि्वटर ने अपनी रणनीति में बदलाव नहीं किये हैं. ट्विटर इंडिया के शिकायत अधिकारी धर्मेंद्र चतुर ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में सरकार ट्विटर को तवज्जो ना देकर दूसरे प्लेटफार्म से बातचीत कर रही है.
एनडीटीवी ने यह खबर दी है कि संसदीय समिति इस अहम मुद्दों पर लंबी बातचीत करेगी. अगली बैठक में दूसरे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म को न्यौता देगी जिसमें यूट्यूब समेत कई दूसरी नेटवर्किंग वेबसाइट का नाम शामिल है, हालांकि टि्वटर को लेकर क्या रणनीति रहती है, यह देखना होगा. इस पूरे मामले पर अब तक टि्वटर की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आयी है कि उसे इस बैठक में किस वजह से शामिल नहीं किया गया और ना ही संसदीय समिति ने इस बैठक में टि्वटर को ना शामिल करने पर कोई प्रतिक्रिया दी है. इसमें सिर्फ दो प्लेटफॉर्म का नाम है
सरकार के साथ लगातार बातचीत में सरकार की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स या पीड़ितों की शिकायत का समाधान के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना जरूरी है. ट्विटर इंडिया ने इस बात पर सहमति जताई है लेकिन प्राइवेसी को लेकर सरकार के साथ टि्वटर का विवाद अब भी जारी है. नये आईटी नियमों के तहत 50 लाख से अधिक यूजर वाली सभी महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियां ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा.
नियमों को ना मानने की वजह से भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मिलने वाले अधिकार और छूट के अधिकार को खत्म कर दिया गया है. इस पूरे विवाद में अब तक ट्विटर ने सरकार के सामने जवाब रखा है लेकिन अब तक ट्विटर और सरकार के बीच का विवाद खत्म नहीं हुआ है.