नई दिल्ली. जम्मू एयरबेस हमले मामले की आरंभिक जांच में बडा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियो को शक है कि इस हमले में चीन में बने ड्रोन की मदद ली गई थी. चीन ने पिछले दिनों ड्रोन पाकिस्तान को दिए थे और वहां से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ये ड्रोन आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मुहैया कराए थे. इस हमले में सेना की खुफिया आंतरिक जांच भी जारी है.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू एयरबेस मामले की जांच अधिकारिक तौर पर केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दी है. एनआईए की एक विशेष टीम ने इस बाबत घटनास्थल पर पहुंच कर एयरफोर्स स्टेशन के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज भी खंगालनी शुरू कर दी है. जांच एजेंसियों को शक है कि इस घटना से जुड़े लोग उस समय के आसपास एयरफोर्स स्टेशन के पास से निकले होंगे. साथ ही जांच एजेंसियो को इस मामले में चीनी कनेक्शन का भी शक है.
जांच से जुड़े एक आला अधिकारी ने बताया कि चीन ने कुछ समय पहले ही अपने यहां निर्मित ड्रोन पाकिस्तान को दिए थे. इसके पहले आए खुफिया इनपुट से पता चला है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ये ड्रोन आंतकी संगठनो को उपलब्ध कराए थे. मौके पर मिले मलबे से भी इस बाबत फोरेसिंक जांच की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि खुफिया इनपुट इस बात के भी आए थे कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा इन ड्रोनों को लेकर तालिबान के संपर्क में भी थे क्योंकि तालिबान ने साल 2020 में अफगानिस्तान में ड्रोन के जरिए हमला किया था.
जांच से जुड़े एक आला अधिकारी ने बताया कि अभी इस मामले में स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता की ड्रोन सीमापार से आया था या भारतीय सीमा में लश्कर के आतंकियों ने अपने साथियों की मदद से उड़ाया था. क्योंकि जांच अभी जारी है और किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. सूत्रों ने बताया कि इस मामले में सेना की आंतरिक जांच भी जारी है कि ऐसे हमलों को भविष्य में कैसे रोका जा सकता है और सेना की इस जांच में टेक्निकल एक्सपर्ट समेत पांच एजेंसियां भी शामिल हैं क्योंकि ऐसे हमलों को भविष्य में बडे खतरे की घंटी माना जा रहा है.