पटना/दिल्ली. लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान की सियासी लड़ाई चुनाव आयोग में लंबित है, लेकिन चुनाव आयोग के सूत्रों से बड़ी खबर यह है कि लोजपा अब भी चिराग पासवान की है. ऐसा तब है जब सांसद पशुपति पारस की तरफ से अपने आप को लोकसभा में संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया है. यही नहीं पारस ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर खुद को अध्यक्ष भी घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके चुनाव आयोग से जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार आज की तारीख में एलजेपी अब भी चिराग पासवान की ही है.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार अभी तक पारस गुट की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी पर या फिर लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगले पर कोई दावा नहीं किया गया है. ऐसे में चुनाव आयोग लोजपा पर किसी दूसरे गुट की तरफ से बिना दावा किए ही कैसे उसका अधिकार मान सकता है. हालांकि पारस गुट की तरफ से किये गए फैसलों की जानकारी जरूर चुनाव आयोग को दी गई है, लेकिन ये जानकारी किसी पार्टी पर अधिकार या दावे पर सुनवाई के लिये काफी नहीं है.
चुनाव आयोग में पशुपति पारस ने क्या कहा है ?
पशुपति पारस गुट की तरफ से किए गए तमाम फैसलों की जानकारी तो चुनाव को जरूर दी गई, लेकिन अब तक कोई भी प्रतिनिधिमंडल पारस गुट की तरफ से चुनाव आयोग से न तो मिला है और न ही पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर दावे को लेकर चुनाव आयोग से सुनवाई की मांग की गई है.
लोजपा के चिराग पासवान गुट का यह है दावा
दूसरी तरफ एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव आयोग से पहले ही मिल चुके हैं और आयोग से गुहार भी लगा चुके हैं कि अगर किसी की तरफ से एलजेपी पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया खारिज किया जाए. अगर चुनाव को कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए.
लोजपा में चाचा-भतीजा का विवाद चुनाव आयोग के पास
दरअसल हाल ही में एलजेपी के 6 सांसदों में से 5 ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर लोकसभा में संसदीय दल के नेता के तौर पर पशुपति कुमार पारस के चयन का दावा कर दिया था. इसे स्पीकर की भी मंजूरी मिल चुकी है. इसके अलावा पारस गुट ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी नक गठन करके खुद को पार्टी का अध्यक्ष भी बनवा लिया. वहीं, चिराग पासवान ने भी एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर पारस गुट के फैसलों को पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर खारिज कर दिया है.