सुनीता गुप्ता, लखनऊ। देश के सबसे बड़े और अहम सूबे उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व बेहद ही अहम माने जा रहे पंचायत चुनाव में जिस तरह से सत्तारूढ़ दल भाजपा ने अपने कुशल नेतृत्व और सधी रणनीति के चलते प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी समेत तमाम विरोधी दलों के लगातार बढ़-चढ़ कर किये जाने वाले दावों की हवा निकाली है उससे काफी हद तक साफ सा हो चला है कि 2022 के विधान सभा चुनावों में भी भाजपा की ही आंधी चलेगी और तमाम झूठे और बरगलाने वाले मुद्दों के सहारे अपन नैयया पार लगाने को बेताब तमाम विरोधी दलों की दाल नही गलेगी। क्योंकि प्रदेश की 75 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों में से 67 सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया है। उसे देखते तो फिलहाल साफ तौर पर समूचा विपक्ष पूरी तरह से बेदम नजर आया है।
गंभीरता से अगर गौर करें तो भाजपा इसकी हकदार भी थी क्योंकि चाहे केन्द्र सरकार के फैसले हों या फिर प्रदेश सरकार के काफी हद तक जनता के हितों को परिपूर्ण करने में सहायक रहे हैं। वो बात दीगर है कि कुछ एक मामलों में जनता की नाराजगी जग जाहिर है लेकिन बावजूद इसके अगर बात जमीनी हकीकत की जाये तो सरकार की तमाम ऐसी सकारात्मक पहल हैं जिनके चलते ऐन मौके पर जनता का मूड बदल जाता है और इसी वजह के चलते विपक्ष के हाथ से अचानक ही सब कुछ निकल जाता है।
इसी इक वजह के चलते ही एक बार फिर ऐन मौके पर बदल गई कहानी और उत्तर प्रदेश में समूचे विपक्ष को पड़ी है मुंह की खानी। हद की बात तो ये रही कि जिस तरह से किसान आनेलन का हौव्वा पैदाकर लगातार पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा की फिजा को बेहद ही खराब बताया जा रहा था वहां पर भी भाजपा ने 14 में से 13 सीट जीतकर तमाम सियासी विश्लेषकों की बोलती ही बेद करा दी। बेहद अहम बात तो ये रही कि पश्चिम यूपी में अपने गढ़ में रालोद महज बागपत की ही एकमात्र सीट पर जीत हासिल कर सकी।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने 67 जिलों में जीत दर्ज कर रिकार्ड कायम किया है। वहीं समाजवादी पार्टी महज पांच जिलों तक ही सिमटकर रह गई। कन्नौज, मैनपुरी, औरैया फर्रुखाबाद जैसे प्रमुख गढ़ माने जाने वाले जिलों में भी सपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। शनिवार को 53 जिलों में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने 46 जिलों में जीत दर्ज की। सपा ने चार, जनसत्ता दल, रालोद व निर्दलीय ने एक-एक जिले में जीत दर्ज की। इससे पहले 21 जिलों में भाजपा और एक जिले इटावा में सपा के निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं। चुनाव के दौरान बलिया, प्रतापगढ़ और संतकबीर नगर में विवाद हुआ जबकि अन्य जिलों में चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ।
गौरतलब है कि आज जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए 53 जिलों में सुबह 11 बजे से मतदान शुरू हुआ। दोपहर 3 बजे से मतगणना शुरू होने के बाद 3.15 बजे तक नतीजे आने शुरू हो गए। शाम साढ़े पांच बजे तक सभी जिलों के नतीजे घोषित कर दिए गए। लखनऊ में भाजपा की आरती रावत अध्यक्ष निर्वाचित हुई। बाराबंकी, अयोध्या, रायबरेली व अमेठी सहित कुल 67 जिलों में भाजपा को जीत मिली है।
सपा को एटा, इटावा, आजमगढ़, संतकबीर नगर और बलिया में जीत मिली है। बागपत में सपा के सहयोगी रालोद की उम्मीदवार ममता जयकिशोर निर्वाचित हुई हैं। जौनपुर में बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी डॉ. श्रीकला रेड्डी और प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल की माधुरी पटेल अध्यक्ष निर्वाचित हुई है। इस चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। कांग्रेस ने जालौन और रायबरेली में उम्मीदवार खड़े किए थे। दोनों जगह उसके उम्मीदवार हार गए।
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रहे अमेठी में भी भाजपा ने परचम फहराया है। वहीं सपा के प्रभाव वाले कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, फर्रुखाबाद, रामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद और संभल जैसे जिलों में भाजपा ने परचम फहराया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में पश्चिम से लेकर पूरब तक भाजपा ने दबदबा कायम रखा। भाजपा के संगठनात्मक क्षेत्रों की दृष्टि से पश्चिम क्षेत्र में 14 जिलों में से 13 में भाजपा और एक बागपत में रालोद ने चुनाव जीता है। ब्रज क्षेत्र के 12 जिलों में से 11 में भाजपा और एक एटा में सपा विजयी हुई है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 14 में से 13 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। इटावा में सपा उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
अवध क्षेत्र की सभी 13 जिलों में भाजपा का कब्जा रहा। काशी क्षेत्र में 12 में से दस जिलों में भाजपा ने चुनाव जीता है जबकि जौनपुर में निर्दलीय और प्रतापगढ़ में जनसत्ता पार्टी ने चुनाव जीता है। गोरखपुर क्षेत्र में भाजपा ने 10 में से सात जिलों में जीत दर्ज की है। तीन जिलों में सपा को जीत मिली है।
इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने सपा के 2016 में 63 जिलों में जीत का रिकार्ड तोड़ दिया है। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता न मिलने के बाद राजनीतिक पंडित मान रहे थे कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा सपा का रिकार्ड नहीं तोड़ पाएगी। लेकिन सरकार और संगठन की साझा रणनीति से भाजपा ने न केवल पिछला रिकार्ड तोड़ा बल्कि नया रिकार्ड भी बना दिया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष कुल सीट – 75
भाजपा – 67, सपा- 5, रालोद – 1. जनसत्ता दल – 1., निर्दलीय – 1, कांग्रेस – शून्य,
बसपा – शून्य, निर्विरोध नतीजे- भाजपा – 22, सपा – 1