नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कांवड़ यात्रा को अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि यूपी सरकार अपने आदेश पर पुनर्विचार करें, नहीं तो हमको जरूरी आदेश देना पड़ेगा. हालांकि सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि वो इस वक्त कांवड़ यात्रा के पक्ष में नहीं है. हलफनामे में केंद्र ने कहा कि कांवड़ लेकर अपने इलाके के मंदिर में जाने से बेहतर होगा कि टैंकर के जरिए जगह-जगह गंगाजल पहुंचाया जाए.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया कि कोविड के मद्देनजर राज्य सरकारों को हरिद्वार से गंगा जल लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए. हालांकि धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को टैंकरों के माध्यम से गंगा जल उपलब्ध कराने चाहिए. टैंकर चिन्हित/निर्धारित स्थानों पर उपलब्ध हों ताकि आस-पास के भक्त ‘गंगा जल’ को इकट्ठा कर सकें और अपने नजदीकी शिव मंदिरों में ‘अभिषेक’ कर सकें. इस दौरान राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना नियमों का पालन किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा, कांवड़ यात्रा को लेकर आपका क्या कहना है. इस पर वैद्यनाथन ने कहा, धार्मिक महत्व के चलते मंजूरी दी गई है. वैक्सीनेशन और नेगेटिव आरटीपीसीआर के आधार पर अनुमति है. इसके बाद कोर्ट ने कहा, हम आपको एक और मौका देना चाहते हैं विचार करने का. आप सोचिए कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं. हम सब भारत के नागरिक हैं. सबको जीवन का मौलिक अधिकार है. हम आपको सोमवार तक समय दे रहे हैं. नहीं तो हमको जरूरी आदेश देना पड़ेगा.
कोर्ट ने आगे कहा, यूपी सरकार हलफनामा दाखिल करे और बताए कि क्या सरकार तैयार है कि यात्रा को अनुमति न दी जाए. सोमवार सुबह तक हलफनामा दें. हमारा शुरुआती विचार यही है कि यह मामला भारत के हर नागरिक के जीवन के मौलिक अधिकार से जुड़ा है. यह अधिकार सर्वोच्च है. सभी तरह की धार्मिक भावनाएं इसके बाद आती हैं.