नई दिल्ली. इजरायली कंपनी के पेगासस स्पाईवेयर के जरिये देश के पत्रकारों और कुछ अन्य विशिष्ट लोगों की कथित जासूसी का मसला जोर पकड़ता जा रहा है. विपक्ष ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है. संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार सरकार इसे लेकर विपक्ष के निशाने पर रही. मसले पर स्पष्टीकरण की मांग के बीच केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर सरकार का रुख स्पष्ट किया है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को लोकसभा में पेगासस प्रोजेक्ट को लेकर कहा, कल रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की गई. इसमें कई आरोप लगाए गए. यह रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से महज एक दिन पहले आई और यह महज संयोग नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा, पहले भी वाट्सएप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सभी पक्षों द्वारा उनका खंडन किया गया था. 18 जुलाई, 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम उन लोगों को दोष नहीं दे सकते जिन्होंने समाचार को विस्तार से नहीं पढ़ा है. मैं सदन के सभी सदस्यों से तथ्यों और तर्क पर मुद्दों को परखने की अपील करता हूं. इस रिपोर्ट का आधार यह है कि एक संघ है, जिसकी पहुंच 50,000 फोन नंबर्स के लीक हुए डेटाबेस तक है. आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा में एक फोन नंबर की मौजूदगी से यह पता नहीं चलता है कि डिवाइस पेगासस से संक्रमित था या इसे हैक करने की कोशिश की गई.
उन्होंने कहा, फोन को इस तकनीकी विश्लेषण के अधीन किए बिना, निर्णायक रूप से यह बताना संभव नहीं है कि उसे हैक करने का प्रयास किया गया या सफलतापूर्वक ऐसा कर लिया गया. रिपोर्ट में ही स्पष्ट किया गया है कि सूची में किसी नंबर की मौजूदगी का अर्थ यह नहीं है कि उसकी जासूसी हो रही है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने जोर देकर कहा कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में चेक एंड बैलेंस की जो व्यवस्था है, उसमें किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है. उन्होंने कहा, भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध इंटरसेप्शन किया जाता है.
उन्होंने कहा, इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध अवरोधन के लिए अनुरोध भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार किए जाते हैं. ऐसे प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज रिपोर्ट का कोई ठोस आधार नहीं है.
पेगासस जासूसी के मसले पर केंद्र सरकार की ओर से यह सफाई ऐसे समय में आई है, जबकि विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ बंदूक तान रखी है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए. राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, यह एक गंभीर मुद्दा है. इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होगी अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का फोन भी टैप किया जा रहा हो.