काबुल. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से बचे एकमात्र पंजशीर में लड़ाई खतरनाक मोड़ पर जाती दिख रही है. पंजशीर घाटी अफगानिस्तान के उन चंद इलाकों में है, जहां अभी तालिबान का कब्जा नहीं हुआ है. पंजशीर से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि अंदराब में हुई लड़ाई में 50 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए हैं और 20 से अधिक लड़ाकों को बंधक बनाया गया है.
इस लड़ाई में तालिबान के क्षेत्रीय कमांडर के मारे जाने का दावा भी किया गया है. वहीं पंजशीर समर्थक एक लड़ाके की मौत हुई है और 6 घायल हुए हैं. हालांकि, तालिबान से जुड़े सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक तालिबान लड़ाके ने भास्कर से कहा है, पंजशीर को माफ नहीं किया जाएगा.
कल रात तालिबान से जुड़े एक सूत्र ने दावा किया था कि बानू पर फिर से तालिबान का नियंत्रण हो गया है. पंजशीर घाटी में विद्रोहियों की अगुआई कर रहे अहमद मसूद के लड़ाके जंग के लिए तैयार हैं. इनके साथ अफगानी सेना भी शामिल है. ये अफगानी झंडे के साथ लड़ रहे हैं. नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट, यानी नॉर्दर्न अलायंस को लीड कर रहे मसूद ने कहा कि युद्ध की तैयारी है, पर अगर रास्ता निकालने के लिए बातचीत होती है तो उसके लिए भी तैयार हैं.
आतंकवादी ग्रुप्स का समर्थन नहीं करने का पाकिस्तान का झूठ सोमवार को फिर उजागर हुआ. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने तालिबान के समर्थन में रैली निकाली है. दोनों संगठनों के आतंकियों ने अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने पर हवा में गोलियां चलाकर जश्न मनाया. इनके नेताओं ने भड़काऊ भाषण भी दिए. इधर, पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने तालिबान नेता मुल्ला बरादर और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद की एक साथ नमाज अदा करते हुए तस्वीरें भी पोस्ट की हैं. इसने इमरान खान सरकार के लिए शर्मिंदगी और बढ़ा दी है.