काबुल. अफगानिस्तान में 20 साल बाद अपनी हुकूमत जमाने वाली तालिबान सरकार ने अपनी शपथ ग्रहण समारोह को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि ऐसा कोई सामारोह आयोजित नहीं करेगी. इससे पहले खबर थी कि तालिबान ने अफगानिस्तान में नयी सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए चीन, पाकिस्तान, रूस, तुर्की, ईरान और कतर को न्योता भेजा है.
चीन अपने सहयोगी पाकिस्तान तथा रूस के साथ अफगानिस्तान पर अपनी नीतियां बनाने के लिए समन्वय कर रहा है. तालिबान सरकार ने पैसों की बर्बादी का हवाला देकर शपथ-ग्रहण समारोह को कैंसल कर दिया है. पहले माना जा रहा था कि 11 सितंबर को शपथ ग्रहण समारोह रखा जा सकता है लेकिन फिर अमेरिका में 20 सालों पहले हुए आतंकी हमले की बरसी होने के चलते इसे टाल दिया गया.
बता दें कि पाकिस्तान ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान में नई अंतरिम सरकार युद्धग्रस्त देश में ‘शांति, सुरक्षा और स्थिरता’ लाएगी और अफगान लोगों की मानवीय और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करेगी. विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने यहां साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है, जिसमें अफगानिस्तान की तात्कालिक जरूरतों और प्रशासनिक संरचना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नए राजनीतिक ढांचे का गठन भी शामिल है.
उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि नया राजनीतिक प्रशासन अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए समन्वित प्रयास सुनिश्चित करेगा और साथ ही अफगान लोगों की मानवीय और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करेगा. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की शांति में पाकिस्तान का स्थायी हित है. उन्होंने कहा, हम यह भी उम्मीद करते हैं कि मानवीय संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने में अपनी उचित भूमिका निभाएगा.
वहीं तालिबान ने पिछले मंगलवार को घोषणा की कि मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान की नई सरकार का नेता होगा. तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा, तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उपनेता होंगे और अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी नए गृह मंत्री होंगे.