बैंगलोर. कांग्रेस-जनदा दल (सेकुलर) की गठबंधन सरकार को हटाने के लिए इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों में शामिल कागवाड़ के भाजपा विधायक श्रीमंत पाटिल ने एक बयान देकर अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोडऩे के लिए भाजपा ने उन्हें नकदी की पेशकश की थी.
वर्तमान भाजपा विधायक श्रीमंत पाटिल ने कहा कि बीजेपी ने कांग्रेस छोडऩे के लिए उन्हें पैसों की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेस के प्रति वफादारी दिखाते हुए उन्होंने पैसे लेने से मना कर दिया था. इसके बदले उन्होंने भाजपा की सरकार बनने पर एक अच्छा मंत्रीपद देने को कहा था, ताकि वह जनता की सेवा कर सकें. शनिवार को बेलगावी जिले के कागवाड़ तालुक के ऐनापुर में मीडिया से बात करते हुए, श्री पाटिल ने कहा कि ऑपरेशन लोटस के दौरान उन्हें पैसे की पेशकश की गई थी. उन्होंने कहा कि मैं बिना एक पैसा लिए भाजपा में आया.
सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस इस मुद्दे को उठा सकती है. हालांकि कांग्रेस और जद (एस) पहले भी भाजपा पर अपने विधायकों को पैसे और पद के लालच में फंसाने का आरोप लगाया है, लेकिन बीजेपी इससे इनकार करती रही है.
2019 में भाजपा में शामिल हुए थे पाटिल
बता दें कि पाटिल उन 16 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने साल 2019 में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसकी वजह से कर्नाटक में कांग्रेस-जेडी (एस) की गठबंधन सरकार गिर गई थी.
पाटिल ने साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर कागवाड़ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता था. भाजपा में जाने के बाद उन्होंने उप-चुनाव जीता और उन्हें बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाया गया. येदियुरप्पा के पद छोडऩे और बसवराज बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. पाटिल ने कहा कि वह बिना पैसे लिए भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन यह नहीं जानते कि उन्हें मंत्री पद क्यों नहीं दिया गया.
उन्होंने कहा कि मैं पिछले दो दशकों से कृषि विभाग देख रहा था, लेकिन पिछली बार मुझे कपड़ा और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग दे किया गया, जिसे मैंने ईमानदारी से संभाला. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि अगले कैबिनेट विस्तार में मुझे शामिल किया जाएगा. अगर मुझे कृषि विभाग दिया जाता है तो मैं इसे भलिभांति संभालूंगा और लोगों की मदद करूंगा.