नई दिल्ली. लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. अब खबर है कि 30 अगस्त को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 100 सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी. सूत्रों ने बताया कि ये सैनिक घोड़े पर सवाल होकर उत्तराखंड के बाराहोती पहुंचे थे. इतना ही नहीं चीनी पक्ष भारतीय क्षेत्र में करीब तीन घंटों तक रुका रहा था. दोनों देशों के बीच बीते साल मई से तनाव काफी बढ़ गया था.
सूत्रों ने कहा कि चीन सेना ने पैदल पुल को भी खत्म कर दिया था, लेकिन इस दौरान उनका सामना भारतीय सेना से नहीं हुआ. उन्होंने बताया, जब तक सेना और भारतीय सेना के जवान आए, तो चीनी सैनिक वापस लौट गए थे. हालांकि, सरकार ने इस घुसपैठ के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ताजा निगरानी और खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पीएलए ने अपने सैनिकों के लिए कंटेनर आधारित नई मॉड्यूलर सुविधाएं तैयार की हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ये निर्माण पूर्वी लद्दाख के सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास कम से कम 8 ठिकानों पर किए गए हैं.
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के 50-50 हजार सैनिक तैनात हैं. इसके अलावा सीमा पर होवित्जर्स तोप और मिसाइल भी मौजूद हैं. असहज शांति के बीच दोनों सेनाएं नियमित रूप से मुश्किल हालात और ऑक्सीजन की परेशानी के चलते ऊंचे इलाकों में सैनिकों को बदल रही है. इसके अलावा दूसरी सेना पर ड्रोन और लड़ाकू विमानों के जरिए नजर रखी जा रही है.
पैंगॉन्ग झील इलाके में भारत और चीन कै सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था. इसके बाद दोनों सेनाओं ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और आधुनिक हथियारों के जरिए अपनी-अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी. हालांकि, दोनों पक्षों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद फरवरी में पैंगॉन्ग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों से सैनिक और हथियार हटा लिए गए थे. इसी तरह की डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया बीते महीने गोगरा में हुई.