नई दिल्ली. पंजाब के सीएम की कुर्सी छोडऩे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात खत्म हो गई है. शाह के आवास पर यह बैठक करीब 45 मिनट चली. जहां जेपी नड्डा के भी मौजूद होने की खबर है. बैठक में क्या हुआ, इसके बारे में ब्यौरा नहीं मिल सका है. हालांकि अब चर्चा है कि कल कोई बड़ा कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो सकता है. इसे कैप्टन से जोड़कर देखा जा रहा है. कैप्टन मंगलवार को दिल्ली पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने किसी राजनीतिक व्यक्ति से मुलाकात से इनकार किया था. फिर भी अब वह शाह से मिलने गए हैं. चर्चा है कि अमरिंदर को भाजपा राज्यसभा के रास्ते सरकार में भी ला सकती है और उन्हें कृषि मंत्री बनाया जा सकता है.
पंजाब में कांग्रेस नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के बाद उलझी हुई है. ऐसे में कैप्टन की इस मुलाकात ने पंजाब में सियासी गर्माहट को और बढ़ा दिया है. कैप्टन का दिल्ली दौरा पंजाब की सियासत के मायने से काफी अहम है. कैप्टन को अपमानित होकर ष्टरू की कुर्सी छोडऩी पड़ी. मुख्यमंत्री रहते वह अकसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलते रहे हैं. हालांकि, अब यह मुलाकात हो रही है तो इसके सीधे सियासी मायने लगाए जा रहे हैं.
कृषि कानून वापसी के जरिए बनेगी कैप्टन की राह
कैप्टन अमरिंदर सिंह की अमित शाह से मुलाकात के बाद अब कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. सूत्रों की मानें तो अब कृषि सुधार कानून कैप्टन के लिए बड़ा टास्क हो सकता है. कैप्टन अब कानून को लेकर आंदोलनकारी किसानों से मिल सकते हैं. इसे केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच मध्यस्थता से जोड़कर भी देखा जा रहा है. कैप्टन यह काम पहले करेंगे या फिर केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर, इसको लेकर चर्चाएं जारी हैं.
शुरु से किसान आंदोलन के समर्थन में रहे हैं कैप्टन
कैप्टन शुरु से ही किसान आंदोलन के समर्थन में रहे हैं. पंजाब में करीब एक महीने शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलता रहा. इसके बाद किसान दिल्ली गए तो कैप्टन ने कोई रोक-टोक नहीं की. यहां तक कि उन्होंने केंद्र सरकार के किसानों को रोकने के निर्देश को भी ठुकरा दिया. किसानों के साथ कैप्टन के रिश्ते भी अच्छे हैं. जब उन्होंने धरने के बाद गन्ने की कीमतें बढ़ाई तो भी संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं बलबीर राजेवाल, मनजीत सिंह राय व अन्य नेताओं ने लड्?डू खिलाकर उनका स्वागत किया. उसके बाद सियासी तौर पर इसकी खूब चर्चा हुई थी.
भाजपा को बता चुके विकल्प
कैप्टन ने सीएम की कुर्सी छोड़ी तो बड़ा सवाल था कि उनका सियासी भविष्य क्या होगा? कैप्टन से सीधे तौर पर भाजपा में शामिल होने के बारे में भी पूछा गया. उन्होंने कहा कि सब विकल्प खुले हैं. वह इसके बारे में सोच रहे हैं. कैप्टन का इससे पहले 2017 में कांग्रेस हाईकमान से टकराव हुआ था. तब कैप्टन जाट महासभा बनाकर कांग्रेस को चुनौती दी थी. कैप्टन ने बाद में इसका खुलासा किया था कि वो भाजपा में जाने का मन बना चुके थे.