Tuesday , April 23 2024
Breaking News

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: यूनिटेक प्रमोटरों को मदद करने वाले तिहाड़ के अधिकारी होंगे सस्पेंड

Share this

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट के आधार पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों और जेल में बंद यूनीटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय और अजय चंद्रा बंधुओं के बीच साठगांठ की विस्तृत जांच का बुधवार को निर्देश दिया. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ एवं न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम एवं भादंसं के संबंधित प्रावधानों के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश दिया.

पीठ ने तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया औरउनके विरूद्ध मामले दर्ज किये जाएंगे. पीठ ने कहा कि यह निलंबन उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रहने तक प्रभावी रहेगा. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया था कि चंद्रा बंधु जेल से अपना कारोबार-धंधा चला रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट में जेल प्रबंधन बढ़ाने के संबंध में दिये गये सुझाव का पालन करने का भी निर्देश दिया. न्यायालय ने इस रिपोर्ट की एक प्रति अनुपाल के लिए मंत्रालय के पास भेजने का भी आदेश दिया है.

उच्चतम न्यायालय ने इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और दिल्ली पुलिस की सीलबंद लिफाफे में पेश की गयी रिपोर्टों को रिकार्ड में लिया एवं अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की.

26 अगस्त को शीर्ष अदालत ने चंद्रा बंधुओं को राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल से महाराष्ट्र में मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था क्योंकि ईडी ने उससे कहा था कि वे जेलकर्मियों की मिलीभगत से जेल परिसर से अपना कारोबार-धंधा चला रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने ईडी की दो स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा था कि तिहाड़ जेल के अधीक्षक और अन्य कर्मी अदालती आदेश को धता बताकर चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत करने में बिल्कुल बेशर्म हैं. न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को चंद्रा बंधुओं के सिलसिले में तिहाड़ जेल के कर्मियों के आचरण की व्यक्तिगत रूप से जांच करने का निर्देश दिया था.

चंद्रा बंधुओं एवं रियलिटी कंपनी यूनीटेक के विरूद्ध धनशोधन अधिनियम की जांच कर रही ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संजय एवं अजय ने पूरी न्यायिक हिरासत को बेमतलब बना दिया है क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से संवाद कर रहे हैं, अपने अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं और जेल के अंदर से संपत्ति का धंधा कर रहे हैं, इन सारे कामों में जेल कर्मी उनका साथ दे रहे हैं. अगस्त, 2017 से जेल में बंद संजय और अजय पर घर खरीददारों का पैसा कथित रूप से गबन करने का आरोप है.

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2017 में यूनीटेक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर, 2017 तक न्यायालय की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था. दोनों भाइयों का दावा है कि उन्होंने न्यायालय की शर्तो का अनुपालन किया है और 750 करोड़ रुपये से भी ज्यादा राशि जमा करा दी है. इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये

Share this
Translate »