पटना. बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में विवाद कम होता नहीं दिख रहा. आरजेडी को विधानसभा उपचुनाव में विरोधियों के साथ ही अपने सहयोगी और घर के भीतर से ही चुनौती मिल रही है. राजद के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से तेज प्रताप यादव के बाहर होने के बाद उनके संगठन छात्र जनशक्ति परिषद ने तारापुर उपचुनाव में संजय कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि तारापुर सीट पर आरजेडी के उम्मीदवार के खिलाफ कांग्रेस ने भी कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार कर खड़ा किया है जो सीधे तौर पर आरजेडी के लिए चुनौती है.
अब लालू के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर आरजेडी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तेज प्रताप यादव की नई गठित संस्था छात्र जनशक्ति परिषद के नेता संजय कुमार ने शुक्रवार को तारापुर विधानसभा से निर्दलीय नामांकन कर चौंका दिया. संजय पासवान ने नामांकन करते हुए कहा कि चूंकि छात्र जनशक्ति परिषद फिलहाल चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली है इसलिए सिंबल पर खड़ा नहीं हो सकते, इसलिए निर्दलीय पर्चा भरा है.
संजय कुमार ने दावा किया कि मैंने निर्दलीय नामांकन जरूर किया है पर छात्र जनशक्ति परिषद का पूरा समर्थन प्राप्त है. बता दें कि संजय कुमार आरजेडी के नेता भी रहे हैं. इससे पहले कांग्रेस पार्टी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा है, जिसमें उन्हें 18000 वोट मिले थे. संजय कुमार का दावा है कि इस उपचुनाव में उन्हें जनता का समर्थन जरूर मिलेगा.
छात्र जनशक्ति परिषद की ओर से संजय कुमार के नामांकन के दावे के बाद सबसे बड़ी सियासी चर्चा का विषय यह है कि क्या तेज प्रताप यादव तारापुर पहुंचकर आरजेडी के खिलाफ संजय कुमार के समर्थन में प्रचार भी करेंगे? संजय कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि तेज प्रताप यादव ने प्रचार करने की भी बात कही है और वह हमारे समर्थन में प्रचार करने भी आएंगे. जाहिर है तेज प्रताप के उम्मीदवार के मैदान में आने के साथ ही आरजेडी के उम्मीदवार अरुण शाह की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
तेज प्रताप यादव के समर्थन से छात्र जनशक्ति परिषद के नेता संजय कुमार के मैदान में उतरने से आरजेडी की मुश्किलें रणनीतिक तौर पर भी बढ़ गई हैं. आरजेडी ने तारापुर से रणनीति के तहत वैश्य समुदाय के उम्मीदवार अरुण शाह को मैदान में उतारा था. आरजेडी को लगता है कि यादव और मुसलमान के साथ वैश्य समाज के वोट मिलने पर जीत पक्की हो जाएगी, पर यादव जाति के ही संजय कुमार के मैदान में उतर जाने से आरजेडी के मंसूबों को आघात लग सकता है. बहरहाल यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी और तेजप्रताप, क्या दोनों एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करने उतरते हैं या नहीं?