जाब में नजदीक आ रहे चुनाव के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी तेवरों में लगातार उतार-चढ़ाव पार्टी नेतृत्व के लिए स्थायी सिरदर्दी साबित होता जा रहा है. कांग्रेस हाईकमान सियासी मसलों पर हर बार सिद्धू के साथ हमदर्दी दिखाते हुए मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की उनकी कसक पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन पूर्व क्रिकेटर अपने कदमों से बार-बार नेतृत्व को ही असहज कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर शीर्ष नेतृत्व को खफा कर चुके सिद्धू ने इस बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र की कापी सार्वजनिक कर पार्टी को असहज किया है. पार्टी में पत्र को सार्वजनिक करने के सिद्धू के रुख को अवांछित और गैरजरूरी कदम माना जा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाते सिद्धू का कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर मिलने के लिए वक्त मांगना कोई अनुचित कदम नहीं है. लेकिन इस पत्र को इंटरनेट मीडिया पर जारी करना राजनीतिक शिष्टाचार और मर्यादा के अनुकूल नहीं है क्योंकि इसमें पार्टी के आंतरिक मसलों की बात उठाई गई है, जिसे आपसी चर्चा के जरिये सुलझाया जा सकता है. ऐसे में उनका पत्र को सार्वजनिक करना पार्टी के सियासी हित को ही चोट पहुंचा सकता है और खासकर तब जबकि पंजाब के चुनाव में महज चार-पांच महीने का समय ही रह गया है.
बहरहाल, सिद्धू की ओर से लगातार बढ़ाई जा रही सियासी सिरदर्दी के बावजूद कांग्रेस के पास चुनाव को देखते हुए अब बहुत ज्यादा विकल्प और समय नहीं बचा है. ऐसे में संकेत हैं कि सिद्धू का ताजा पत्र प्रकरण नागवार लगने के बावजूद पार्टी नेतृत्व बहुत कठोर रुख अपनाएगा, इसकी ज्यादा गुंजाइश नहीं है. शायद इसीलिए हाईकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत ¨सह चन्नी को सिद्धू के उठाए मुद्दों का बातचीत के जरिये तार्किक समाधान निकालने को कहा है. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद चन्नी ने सोनिया गांधी से अलग से मुलाकात की और बताते हैं कि इस दौरान सिद्धू के पत्र समेत सूबे के तमाम सियासी मुद्दों पर बातचीत हुई. इसी चर्चा के मद्देनजर ही चन्नी ने रविवार को चंडीगढ़ में सिद्धू के साथ पत्र में उठाए उनके मसलों को लेकर बातचीत की और सभी मुद्दों को हल करने की बात कही.