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CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी नुकसान वसूली के पुराने नोटिस नए कानून के कारण रद्द- सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम विरोधी आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए पुराने नोटिस वस्तुतः रद्द हो गए हैं क्योंकि राज्य सरकार ने नया कानून लागू कर दिया है. जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जज जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तब 22 नवंबर की तारीख निर्धारित की जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें उप्र सरकार द्वारा दायर जवाब पर एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा, आप देखिए कि राज्य में एक नया अधिनियम लागू हो गया है, इसलिए पहले के नोटिस वस्तुत: रद्द हो गए हैं.राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम नाम से एक नया कानून लागू किया था जिसके तहत सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दोषी व्यक्तियों को कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.

राज्य सरकार ने नौ जुलाई को शीर्ष अदालत को बताया था कि नए कानून के तहत न्यायाधिकरणों का गठन किया गया है और आवश्यक नियम बनाए गए हैं. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कथित प्रदर्शनकारियों को पहले भेजे गए नोटिस पर कार्रवाई न करने को कहा था. इसने यह भी कहा था कि सरकार कानून के अनुसार कार्रवाई कर सकती है और नए नियमों का पालन कर सकती है.

शीर्ष अदालत परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उत्तर प्रदेश में CAA के खिलाफ आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की वसूली के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने का आग्रह किया गया था

टीटू ने तर्क दिया था कि ये नोटिस 2010 में दिए गए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर आधारित थे, जो साल 2009 में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले में बताए गए ‘दिशानिर्देशों का उल्लंघन है’. साल 2018 के आदेश में इन निर्देशों के बारे में शीर्ष अदालत ने फिर से पुष्टि की. याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी संशोधित नागरिकता अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के विरोध के दौरान हुई घटनाओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक जांच स्थापित करने की मांग की गई.

याचिका में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार ‘सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का बदला लेने के मुख्यमंत्री के वादे पर आगे बढ़ रही है’. इसमें कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की संपत्ति को ‘अल्पसंख्यक समुदाय से राजनीतिक कारणों का बदला लेने’ के लिए जब्त किया जा रहा है.

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