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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला, कल से अगले आदेश तक स्‍कूल बंद

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नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाया है. वहीं, कोर्ट से फटकार खाने के बाद दिल्‍ली सरकार ने कल यानी शुक्रवार से सभी स्‍कूल बंद करने का फैसला किया है. इस बाबत दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, ‘सरकार ने निर्णय लिया है कि दिल्ली में कल से सभी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे. दरअसल दिल्ली में स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 13 नवंबर से बंद थे, लेकिन उन्हें सोमवार (29 नवंबर) से खोल दिया गया था.

इसके साथ राय ने कहा कि प्रदूषण बढ़ रहा है जिस कारण से ये निर्णय लिया गया. अगले आदेश तक के लिए स्कूल बंद रखे जाएंगे. इससे पहले सीजेआई एन वी रमण ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई कि आपने स्कूल नहीं बंद किए. छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं, अखबारों में आ रहा है. वहीं, आप सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करा रहे हैं और बच्चे स्कूल भेजे जा रहे हैं

वहीं, दिल्‍ली के उपमुख्‍यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली के सभी स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे. हालांकि बोर्ड से सम्बंधित परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चलेंगी.

बता दें कि दिवाली के बाद से दिल्‍ली में वायु प्रदूषण बेहद गंभीर श्रेणी में बना हुआ है. इस वजह से दिवाली के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूलों में फिजिकल क्लासेज बंद कर दी थीं, लेकिन 29 नवंबर से स्कूल फिर से खोल दिये गये और ऑफलाइन क्लास शुरू हो गईं. यही नहीं, इस दौरान कई स्कूलों में परीक्षाएं संचालित की जा रही थीं. अब 3 दिसंबर से फिर से स्कूल बंद रहेंगे, तो ऑफलाइन क्लासेज भी नहीं होंगी.

यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ मुहिम को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए गुरुवार को कहा कि यह लोकलुभावन नारा होने के अलावा और कुछ नहीं है. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की विशेष पीठ ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछली सुनवाई में घर से काम करने, लॉकडाउन लागू करने और स्कूल एवं कॉलेज बंद करने जैसे कदम उठाने के आश्वासन दिए थे, लेकिन इसके बावजूद बच्चे स्कूल जा रहे हैं और वयस्क घर से काम कर रहे हैं. पीठ ने कहा, ‘बेचारे युवक बैनर पकड़े सड़क के बीच खड़े होते हैं, उनके स्वास्थ्य का ध्यान कौन रख रहा है? हमें फिर से कहना होगा कि यह लोकलुभावन नारे के अलावा और क्या है?’

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