नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा के परिसर में ब्रिटिश काल की सुरंग मिलने के बाद अब फांसी का एक कमरा भी मिला है. यह इमारत जिसे 1912 में कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद बनाया गया था, इसमें 1913 और 1926 के बीच केंद्रीय विधानसभा थी.
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल का दावा है कि 1926 के बाद इमारत अनुपयोगी हो गई थी और ब्रिटिश प्रशासकों ने इमारत को अदालत में बदल दिया और यहां क्रांतिकारियों के केसों की सुनवाई का फैसला किया. गोयल ने कहा कि क्रांतिकारियों को एक सुरंग के जरिए लाल किले से यहां लाया जाता था. उनके अनुसार, हॉल के भीतर कैदियों पर मुकदमा चलाया जाता था और दोषियों को फांसीघर भेज दिया जाता था.
फांसीघर की खोज का कारण बनने वाली घटनाओं का खुलासा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक कार्यकर्ता ने एक दीवार के बारे में जानकारी दी थी जो अपेक्षाकृत अन्य दीवारों से नई लग रही थी. उन्होंने कहा कि जब हमने दीवार पर दस्तक दी, तो यह खोखली लग रही थी और हमने इसे तोड़ने का फैसला किया.
गोयल ने कहा कि ईंट, लकड़ी व अन्य चीजों की तिथि का पता लगाने के लिए पुरातत्व विभाग की टीम बुलाई जाएगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा पर्यटकों के लिए खोली जाएगी. इससे पहले उन्होंने आश्वासन दिया था कि सुरंग का जीर्णोद्धार कर पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा.