चंडीगढ़. किसानों की लगभग 22 यूनियनें, जो संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा थीं और जिन्होंने तीन विवादास्पद कृषि बिलों के खिलाफ साल भर के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, अब पंजाब विधानसभा चुनावों में भाग लेने के मकसद से एक राजनीतिक इकाई संयुक्त समाज मोर्चा बनाने के लिए एक साथ आए हैं. पंजाब में किसानों के राजनीतिक मोर्चे का नेतृत्व बीएस राजेवाल करेंगे. बीकेयू (डकौंडा) और बीकेयू (लखोवाल) सहित तीन कृषि निकाय जल्द ही तय करेंगे कि पार्टी में शामिल होना है या नहीं. वे सभी 117 सीटों से चुनाव लड़ेंगे. किसान नेताओं ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की है.
कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध-प्रदर्शन और आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन कानूनों को वापस लेने की घोषणा ने किसानों के लिए पंजाब में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मंच तैयार किया. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस महत्वपूर्ण चुनाव को लडऩे के अपने बड़े फैसले में किसान संघ आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की मांग कर सकते हैं. किसान नेताओं ने कहा कि ऐसे किसी भी गठबंधन की घोषणा बाद में की जाएगी
32 किसान संगठनों में से 22 ने किया चुनावी दंगल में उतरने का फैसला
चुनाव लडऩे की घोषणा करने वाले ये 22 किसान संगठन पंजाब के उन 32 किसान संगठनों में से हैं, जिन्होंने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा कि पंजाब में अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए संयुक्त समाज मोर्चा का गठन किया गया है.
कई किसान संघों ने किया चुनावी राजनीति से दूर रहने का फैसला
दूसरी ओर, किसान आंदोलन में शामिल रहे कई किसान संघ जो कि संयुक्त किसान मोर्चा (स््यरू) संगठन का हिस्सा थे, ने चुनावी राजनीति से दूर रहने का फैसला किया है. कीर्ति किसान संघ, क्रांतिकारी किसान संघ, बीकेयू-क्रांतिकारी, दोआबा संघर्ष समिति, बीकेयू-सिद्धूपुर, किसान संघर्ष समिति और जय किसान आंदोलन चुनावी मैदान में उतरने के खिलाफ हैं. चुनाव प्रचार के लिए एसकेएम के बैनर का इस्तेमाल होने की संभावना नहीं है.