लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सियासी दलों ने कर्मचारियों को साधना शुरू कर दिया है. वहीं राज्य में चुनाव से पहले राज्य सरकार के कर्मचारियों ने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया है. असल में चुनावी साल में अखिलेश यादव ने चुनावी घोषणाओं में पुरानी पेंशन बहाली को शामिल कर कर्मचारियों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की थी. लेकिन अब राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद इस मुद्दे को सपा का चुनावी स्टंट बताते हुए योगी सरकार के समर्थन में उतर आई है. जिसे समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि राज्य में 23 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और 12 लाख से ज्यादा पेंशनर्स हैं.
असल में हर सियासी दल कर्मचारियों के जरिए एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश कर रहा है. लेकिन एसपी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के बयान को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने चुनावी स्टंट बताते हुए उन्हें घेरा है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष जेएन तिवारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले प्रतिनिधिमंडल ने सभी मुद्दों पर चर्चा करते हुए सात सूत्रीय मांग पत्र दिया गया. उन्होंने कहा कि कर्मचारी योगी सरकार से संतुष्ट हैं और किसी के बहकावे में नहीं आने वाले हैं. क्योंकि योगी सरकार ने कर्मचारियों के हितों के लिए कई फैसले लिए हैं. जिन्हें पूर्व की सरकारों ने नहीं लिया और वह सिर्फ चुनाव के वक्त वादे ही करते रहे
जानकारी के मुताबिक परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी के नेतृत्व में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को मुख्यमंत्री से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में परिषद की जिलाध्यक्ष रेणु मिश्रा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निरीक्षक अधिकारी संघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रीति पांडेय और आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ की प्रदेश अध्यक्ष कुसुम लता यादव भी शामिल थीं. तिवारी ने कर्मचारियों की पिछली मांगों पर फैसले लेने के लिए सीएम योगी को धन्यवाद दिया और इसके साथ ही उन्होंने सीएम योगी को मांग पत्र भी सौंपा.
संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य के कर्मचारी राज्य सरकार के कार्यो से संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि एसपी मुखिया द्वारा पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाना चुनावी स्टंट है. क्योंकि जिस समय पुरानी पेंशन बंद कर नई पेंशन योजना लागू की गई थी, उस वक्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. वहीं अखिलेश यादव 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने पुरानी पेंशन बहाल नहीं की. उस वक्त उन्होंने कहा था कि पुरानी पेंशन का मुद्दा केंद्र सरकार का मुद्दा है. लेकिन चुनाव को देखते हुए एसपी प्रमुख अचानक पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाकर सियासी लाभ लेना चाहते हैं.