जिनेवा. यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस महामारी अपने आखिरी दौर में आ गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप कार्यालय के डायरेक्टर डॉ. हंस क्लूज ने ये जानकारी दी. उनका कहना है कि यूरोप अब कोरोना महामारी के खिलाफ निर्णायक जंग जीतने के करीब पहुंच रहा है. इस वायरस से होने वाली मौतों का ग्राफ अब काफी कम हो रहा है.
डब्ल्यूएचओ के यूरोप ऑफिस के डायरेक्टर डॉ. हंस क्लूज ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘यूरोपीय देशों के पास इकलौता ऐसा अवसर है और तीन ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से कोरोना महामारी के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की जा सकती है. अगर सारे कदम उठा लिए जाते हैं, तो कोविड महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कहा, पहला कारक है, वैक्सीनेशन की वजह से या लोगों के संक्रमित होने की वजह से काफी ज्यादा लोगों में इम्यूनिटी का आना. दूसरा फैक्टर है, गर्मी के मौसम में वायरस के संक्रमण फैलाने की क्षमता में कमी आना. तीसरा फैक्टर है, ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से लोगों का कम गंभीर बीमार होना.
डॉ. क्लूज ने कहा कि पिछले सप्ताह डब्ल्यूएचओ के यूरोपीय क्षेत्र में एक करोड़ 20 लाख नए कोरोना वायरस मरीज मिले थे, लेकिन इतने मरीज मिलने के बाद भी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हुआ. डॉ. हंस क्लूज ने कहा कि अभी जो मौका हाथ आया है, उसे एक तरह के कोविड संक्रमण के खिलाफ युद्धविराम माना जाना चाहिए. साथ ही इस मौके का फायदा उठाते हुए तेजी से इस वायरस को पूरी तरह से नियंत्रित कर लेना चाहिए
यूरोपीय देशों में आने वाले हफ्तों में सर्दी कम होने वाली है. धीरे-धीरे गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है. यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में आने वाले हफ्तों में सर्दी कम हो जाती है. डब्ल्यूएचओ के यूरोप के डायरेक्टर डॉ. क्लूज ने कहा, ‘आने वाले कुछ महीनों में हमें कोविड महामारी से एक ब्रेक मिल सकता है. लंबी अवधि के दौरान कोविड महामारी का फिर से प्रसार देखने की संभावना काफी कम रहने वाली है, क्योंकि काफी बड़ी आबादी में कोविड महामारी के खिलाफ प्रतिरक्षा आ गया है. यहां तक कि अगर एक और वेरिएंट भी सामने आता है, तो भी उसका प्रभाव यूरोपीय देशों पर कम होगा, लेकिन उसके लिए जरूरी शर्त ये है कि युद्धविराम के इस समय में हम काफी तेजी के साथ टीकाकरण को आगे बढ़ाएं.’
ब्रिटेन और डेनमार्क सहित पूरे यूरोप के कई देशों ने अपने लगभग सभी कोरोना वायरस प्रतिबंधों को यह कहकर हटा दिया है कि ओमिक्रॉन का पीक खत्म हो चुका है. वहीं, स्पेन समेत कई देश कोविड प्रतिबंधों को खथ्म करने पर विचार कर रहे हैं. पिछले हफ्ते इंग्लैंड ने भी लगभग सभी घरेलू प्रतिबंधों को खत्म कर दिया है और अब पूरे देश में कभी भी मास्क लगाना अनिवार्य नहीं है. ब्रिटेन में अब कहीं जाने के लिए वैक्सीन पास की भी जरूरत नहीं है और अब वर्क फ्रॉम होम की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है. सिर्फ अब कोविड पॉजिटिव लोगों के लिए खुद को आइसोलेट करना ही कानूनी बाध्यता है. इसके अलावा कई देश ये विचार कर रहे हैं कि कोविड महामारी को मौसमी बीमारी घोषित कर दिया जाए. किसी मौसमी बीमारी की तरह ही इसे नियंत्रित करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए.
हालांकि, अभी भी कई ऐसे देश हैं, जहां अभी भी कोविड प्रतिबंध लागू हैं. ऑस्ट्रिया में अभी भी वैक्सीन अनिवार्यता लागू है. ग्रीस में 60 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों के वैक्सीन नहीं लेने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इस बीच, जर्मनी के राजनेताओं ने राष्ट्रीय टीकाकरण जनादेश लागू करने पर बहस शुरू कर दी है. जबकि, डेनिश हेल्थ अथॉरिटी के प्रमुख सोरेन ब्रोस्ट्रॉम ने डेनिश ब्रॉडकास्टर TV2 को बताया कि उनका ध्यान संक्रमणों की संख्या के बजाय आईसीयू में भर्ती लोगों की संख्या पर है. हालांकि, डब्ल्यूएचओ के जिनेवा मुख्यालय में महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने चेतावनी दी है कि पूरी दुनिया अभी भी महामारी से बाहर निकलने से दूर है. टेड्रोस ने मंगलवार को कहा, हम चिंतित हैं कि कुछ देशों में ऐसा सोच लिया है कि ओमिक्रॉन कमजोर है, लिहाजा उसके खिलाफ सावधान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन सच्चाई ये है कि कुछ भी हो सकता है.