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भिखारियों पर नेशनल डेटाबेस तैयार करने की कवायद शुरू, सरकारी पोर्टल पर मौजूद रहेगी जानकारी

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नई दिल्‍ली. केंद्र एक समर्पित पोर्टल पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए नगर पालिकाओं द्वारा संचालित भिखारियों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अभ्यास शुरू करने के लिए कमर कस रहा है. राज्य-स्तरीय सर्वेक्षणों के माध्यम से ये डेटाबेस तैयार किया जाएगा. शनिवार को भिखारियों और ट्रांसजेंडरों के पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय योजना की शुरुआत में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भिखारी के अपराधीकरण पर जोर दिया. इस योजना का शुभारंभ उसी दिशा में एक कदम है. यह समस्या के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को सक्षम करने के लिए मौजूदा राज्य कानूनों को खत्म करने के लिए एक केंद्रीय कानून की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित करता है.

भीख मांगना राज्य का विषय है और इसे नियंत्रित करने वाला कोई केंद्रीय कानून नहीं है. लगभग 20 राज्यों में ऐसे कानून हैं जो अनिवार्य रूप से भीख मांगने को अपराध मानते हैं. अधिकांश राज्य कानून बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट, 1959 पर आधारित हैं. मंत्रालय भिखारी को अपराधीकरण करने वाले राज्य अधिनियमों में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए भी तर्क देगा.

केंद्रीय योजना स्माइल (आजीविका और उद्यम के लिए सीमांत व्यक्तियों के लिए समर्थन) के साथ और मानकीकृत सर्वेक्षण प्रारूप तैयार है जो नगरपालिकाओं को भीख मांगने में शामिल लोगों की पहचान करने में सक्षम बनाता है, यह स्रोतों से पता चला है कि MoSJ&E पुनर्वास के लिए एक केंद्रीय कानून पर जोर देने की योजना बना रहा है.इस पर एक मसौदा विधेयक मंत्रालय द्वारा पहले कैबिनेट को भेजा गया था. कुछ चिंताओं को उठाए जाने के बाद इसे वापस कर दिया गया था, सबसे महत्वपूर्ण यह था कि जमीन पर निष्पादन कैसे होगा और इसे सक्षम करने के लिए आवश्यक संसाधनों के बारे में विचार किया गया.

पिछले सर्वे के मुताबिक, सबसे कम भिखारियों की संख्या लक्षद्वीप में थी. लक्षद्वीप में केवल 2 भिखारी थी. इसके अलावा भिखारियों की संख्या पूर्वोत्तर के राज्यों में काफी कम है. संसद में पेश किए गए आकड़ों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश में सिर्फ 114 भिखारी हैं, नगालैंड में 124 और मिजोरम में सिर्फ 53 भिखारी ही हैं. संघ शासित प्रदेश दमन और दीव में 22 भिखारी थे. अगर उत्तर प्रदेश में भिखारियों की संख्या पर बात करें तो आकड़े के मुताबिक यहां कुल 65,838 भिखारी हैं, इनमें 41,859 पुरुष और 23,976 महिलाएं थीं. वहीं बिहार में 29,723 भिखारी हैं, इनमें 14,842 पुरुष और 14,881 महिलाएं है. संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में महिला भिखारियों की संख्या पुरुषों से अधिक है.

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