लखनऊ- वेब पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य किये जाने के बाद फर्जी पाये गये दो हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसों पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाते थे. राज्य सरकार इन फर्जी मदरसों के मामले में जांच कर रही है. प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि सरकार ने मदरसों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए पिछले साल सभी मदरसों के प्रबंधन से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी जानकारी अपलोड करने को कहा था. मगर ऐसा करने के लिए अंतिम तारीख कई बार बढ़ाये जाने के बावजूद मदरसों द्वारा संचालित 140 मिनी आईटीआई में से 20 ने अपनी जानकारी नहीं दी. इसके अलावा करीब 2300 मदरसों ने भी पोर्टल पर अपना पंजीयन नहीं कराया. इन सभी पर अब तक हर साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये जाते थे.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि मदरसों की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए उनकी जानकारी वेब पोर्टल पर डालने को अनिवार्य बनाया गया था. ऐसा लगता है कि वे मदरसे और आईटीआई दरअसल फर्जी हैं, जिन्होंने अभी तक अपना पंजीकरण नहीं कराया है. हम मामले की आगे जांच कर रहे हैं.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्योरा नहीं देनेवाले करीब 2300 मदरसों को सरकार पहले ही फर्जी मान चुकी है. मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के मुताबिक, प्रदेश में 19,108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. उनमें से 16,808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया है. वहीं, करीब 2300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया है. उन्हें हम फर्जी मान रहे हैं.