नई दिल्ली. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे 5 देशों के संगठन BRICS की अगली बैठक वर्चुअल होगी. इस बार बैठक की अध्यक्षता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग करने वाले हैं. ये बैठक जून के आखिर में हो सकती है. ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, ऑनलाइन मीटिंग होने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठक में शामिल होने के लिए चीन नहीं जाएंगे. हाल ही में चीन के विदेश मंत्री ने दिल्ली आकर भारत को मनाने की कोशिश की थी कि पीएम मोदी बीजिंग जाकर इस बैठक में शामिल हों. लेकिन भारत ने साफ कह दिया था कि वह सीमा विवाद को दरकिनार करके चीन के साथ सामान्य संबंध बहाल करने पर आगे नहीं बढ़ सकता. ब्रिक्स समिट के ऑनलाइन होने को रूस-यूक्रेन युद्ध से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
भारत ने लद्दाख सीमा पर चीन की हरकत के बाद से ही बेहद कड़ा रवैया अख्तियार कर रखा है. 2017 में डोकलाम में भारत के कई इलाकों पर चीनी सेना के कब्जे और जून 2020 में गलवान में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद भारत ने चीन से संबंधों को सीमित कर रखा है. इस विवाद के सिर उठाने के बाद पहली बार चीन के विदेश मंत्री वांग यी 25 मार्च को दिल्ली आए थे. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्होंने संबंध बहाली पर जोर दिया था. चीनी विदेश मंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी के चीन जाकर शामिल होने के लिए भारत को मनाने की भरपूर कोशिश की थी. लेकिन जयशंकर ने साफ कर दिया था कि भारत सीमा विवाद को नजरअंदाज नहीं कर सकता. पहले चीन लद्दाख से अपनी फौज हटाए, उसके बाद संबंध बहाली पर विचार किया जाएगा. इस दौरान चीनी विदेश मंत्री ने पीएम मोदी से मुलाकात की भी कोशिश की थी, लेकिन भारत ने समय नहीं दिया था
सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिक्स समिट के लिए 23-24 जून की तारीख सुझाई गई है. हालांकि अभी डेट फाइनल नहीं हुई है. पिछले साल भी ब्रिक्स समिट ऑनलाइन हुई थी. तब भारत ने इसकी अगुआई की थी. चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद गहराने के बाद ये पहला मौका है, जब चीन ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा. ब्रिक्स समिट के लिए चीन जाने से इनकार करने के अलावा भारत ड्रैगन देश को साफ संदेश देने के लिए एक और कदम उठा रहा है. ब्रिक्स समिट से पहले पीएम मोदी क्वाड सम्मेलन में शामिल होने के लिए 24 मई को जापान जाएंगे.
ब्रिक्स समिट के वर्चुअल होने की एक और वजह देखी जा रही है. ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों पर तगड़ा दबाब बनाया जा रहा है कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ कम से कम संपर्क रखें. ब्रिक्स का सम्मेलन अगर चीन में प्रत्यक्ष रूप से होता और पीएम मोदी वहां जाते तो पुतिन के साथ उनकी और चीनी राष्ट्रपति समेत ब्राजील व दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रप्रमुखों की सीधी मुलाकात होती. अमेरिका जैसे पश्चिमी देश ये नहीं चाहते. उन्हें डर है कि पुतिन अपने खिलाफ लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की धार कमजोर करने के लिए इस बैठक का फायदा उठा सकते हैं. लेकिन अब ब्रिक्स समिट के वर्चुअल होने से ये आशंका कम हो गई है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन पहली बार ऐसी किसी बैठक में शामिल होने वाले हैं.