नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद के आयोजन को लेकर उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाते हुए उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि कोई भड़काऊ भाषण न दिए जाएं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि और अगर ऐसा हुआ तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसी स्थितियों में क्या करने की जरूरत है, इस पर पहले से ही अदालती फैसले हैं और राज्य को केवल इसे लागू करने की जरूरत है. बेंच ने कहा कि आपको केवल पहले से मौजूद दिशानिर्देशों का पालन करना होगा. क्या आप इसका पालन कर रहे हैं या नहीं, यही आपको हमें जवाब देना है. पीठ में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं.
राज्य सरकार ने कहा कि उसने इसे रोकने के लिए कदम उठाए थे. और पहले भी इसी तरह की घटनाएं होने पर जांच की थी. जस्टिस खानविलकर ने वकील से कहा कि नहीं, जांच ही नहीं. आपको इन गतिविधियों को रोकना होगा. पीठ ने टिप्पणी की कि अगर कुछ होता है तो वह मुख्य सचिव को मौजूद रहने के लिए कहेगी. अदालत ने हिमाचल प्रदेश में आयोजित एक धर्म संसद के खिलाफ एक याचिका पर भी चर्चा की और राज्य के वकील से एक हलफनामे में यह बताने को कहा कि इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए है.
हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि राज्य ने यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधिनियम की धारा 64 के तहत एक नोटिस जारी किया है. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि ये घटनाएं अचानक रातों रात नहीं होती हैं. इनकी घोषणा काफी पहले कर दी जाती है. स्थानीय पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि कोई अप्रिय घटना न हो. और क्या वे कदम उठाए गए हैं, आप उसे समझाएं.