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संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की मांग, नए स्थायी सदस्यों को भी दिया जाए वीटो का अधिकार

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न्यूयॉर्क. संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर रवींद्र ने कहा कि वीटो का उपयोग करने का विशेषाधिकार केवल पांच सदस्य देशों को दिया गया है. यूएनजीए इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है, क्योंकि प्रभावी रूप से पी-5 के पास वीटो है. सभी 5 स्थायी सदस्यों ने अपने-अपने राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पिछले 75 वर्षों में वीटो का उपयोग किया है.

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हमारे अफ्रीकी भाइयों और बहनों द्वारा कहा जाता है, यह देशों की संप्रभु समानता की अवधारणा के खिलाफ है और द्वितीय विश्व युद्ध की मानसिकता को कायम रखता है. या तो मतदान के अधिकार के संदर्भ में सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए या फिर नए स्थायी सदस्यों को भी वीटो का अधिकार दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा,’इसलिए हम आशा करते हैं कि सदस्यता की श्रेणी के पहलुओं और परिषद के कामकाज के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने वाले तथ्यों के प्रयासों को बिना किसी दोहरे मानकों के और भविष्य में इसी तरह के मानदंड के साथ माना जाएगा.’

बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई हिंसा का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई घटनाओं से हम बहुत चिंतित हैं. यरूशलम की ऐतिहासिक यथास्थिति का सम्मान किया जाना चाहिए. इसे बरकरार रखा जाना चाहिए. आर रवींद्र ने कहा कि रुकावट और बर्बरता के सभी कार्य जो पवित्र स्थानों की पवित्रता का उल्लंघन करते हैं, चाहे वह यरूशलेम में हो या कहीं और हो, इसकी स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए. हम शांति बहाल करने के सभी स्टेप का समर्थन करते हैं.
 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने सीरिया में हो रहे सीजफायर उल्लंघन का मामला भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘सीरिया में एक व्यापक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम की दिशा में वास्तव में गंभीर प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है.

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