नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट इस बात की समीक्षा करेगा की क्या कोई पत्नी अपने पति पर बलात्कार का मुकदमा कर सकती है? यानी क्या पति को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार है. मौजूदा कानून के मुताबिक पत्नी अपने पति पर बलात्कार का मुकदमा नहीं कर सकती. एक आदमी को अपनी पत्नी के साथ अपनी मर्जी से संबंध बनाने का अधिकार है. मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जिंदगी में जबरन संबंध बनाने को अपराध नहीं माना गया है. इसे अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कई महिला संगठन सालों से मांग कर रहे हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक के एक मामले में नोटिस जारी कर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इस केस में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. दरअसल, कर्नाटक में एक विवाहित व्यक्ति पर उसकी पत्नी ने बलात्कार का आरोप लगाया था, जिस पर निचली अदालत ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने भी आरोपी को उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया था.
निचली अदालत में 29 मई से मुकदमे की कार्रवाई शुरू होगी. इसी मुकदमे के खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. पति ने अपनी याचिका में कहा है कि कानून के मुताबिक उस पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता है. इसलिए निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन याचिकाकर्ता से कहा कि वह निचली अदालत को बता दे कि अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट अब इस कानून की समीक्षा करेगा.