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नरेश देख अपना हित, हुए मोदी-योगी से प्रभावित

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लखनऊ। कुनबे की कलह से पहले से ही जूझ रही समाजवादी पार्टी के लिए नित नई मुश्किलों का बढ़ना बखूबी जारी है क्योंकि हाल ही में पार्टी के दिग्गज नेताओं को किनारे कर जिस तरह से जया बच्चन को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया था उससे यह तय हो गया था कि इसकी प्रतिक्रिया जल्द ही देखने को मिलेगी। और वो ही हुआ सपा की इस क्रिया की प्रतिक्रिया स्वरूप उसके खास सिपहसालार और दल बदलने के खेल के माहिर नरेश अग्रवाल की आज शाम भाजपा का दामन थाम लिया है। बताया जाता है कि  आज शाम नरेश अग्रवाल दिल्ली स्थित बीजेपी दफ्तर में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। और कहा कि मोदी और योगी से वह खासे प्रभावित हैं।

गौरतलब है कि भाजपा में नरेश अग्रवाल को जगह दिया जाना भाजपा के लिए फायदे मंद कम बल्कि नुक्सानदायक ज्यादा होगा क्योंकि नरेश अग्रवाल हाल के कुछ समय में हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ टिप्पणी करने के अलावा पाकिस्तान परस्ती दिखाकर भाजपा के कट्टर हिन्दू वोटर को काफी हद तक नाराज कर सकते हैं। लेकिन आज की सियासत में तो बस मौका परस्ती है उसूलों की कहां कोई हस्ती है। इसलिए कुछ भी कहा नही जा सकता है।

इसके अलावा देखा जाऐ तो नरेश अग्रवाल दल बदलने और मौके के हिसाब से चाल चलने के माहिर माने जाते हैं उनके खेल की महारत तो कल्याण सिंह और जगदम्बिका पाल वाले मामले में लोगों ने बखूबी देखी है। इसके अलावा उनके सियासी सफर की शुरूआत से लेकर आज तक उनकी महारत हर कदम पर देखी जा सकती है।

नरेश अग्रवाल का जन्म 1 अक्टूबर, 1951 में हरदोई जिले में हुआ। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनका राजनीतिक कार्यक्षेत्र हरदोई है। 1989 तक नरेश अग्रवाल कांग्रेस में रहे। इसके बाद उन्होंने 1997 में अखिल भारतीय लोकतांत्रिक पार्टी ज्वाइन की। बाद में उन्होंने बसपा भी ज्वाइन की। वह हरदोई से 7 बार विधायक रह चुके हैं। लंबे समय तक वह समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े रहें। 2010-12 तक वह राज्यसभा सदस्य रहें। दरअसल नरेश अग्रवाल का राज्यसभा कार्यकाल 23 मार्च को खत्म हो रहा है। सपा ने उन्हें दोबारा राज्यसभा न भेजते हुए जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया है। इसी से नाराज नरेश अग्रवाल सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं।

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