नई दिल्ली. पिछले एक महीने में टमाटर के भाव 29 फीसदी गिर चुके हैं. टमाटर के दाम कम होने से उपभोक्ता को भले ही राहत मिली है, लेकिन टमाटर उत्पादक किसानों के लिए अपनी फसल का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है. तमिलनाडू में तो टमाटर को मंडी में कोई व्यापारी 3 रुपये किलो खरीदने को भी तैयार नहीं है.
कोयंबटूर की किनाथुकदावु सब्जी मंडी में टमाटर बेचने आए किसानों की फसल जब नहीं बिकी तो उन्होंने मजबूरी में टमाटरों को हाइवे पर फेंक दिया. करीब एक टन टमाटर हाइवे पर बिखेर दिए गए. किसानों का कहना है कि मंडी में 15 किलो वजनी एक क्रेट टमाटर का रेट 50 रुपये बोला जा रहा है. यही नहीं, इस भाव में भी सभी किसानों के टमाटर नहीं बिके तो मजबूरी में उन्हें अपनी फसल को फेंकना पड़ा.
मंडी में फसल बेचने आए किसान पेरियासामी ने बताया कि एक एकड़ टमाटर की फसल तैयार करने में 75,000 रुपये खर्च होता है. अगर मंडी में 15 रुपये किलो टमाटर बिके तो किसान की लागत पूरी होती है. लेकिन मंडी में अब कोई व्यापारी टमाटर खरीदने को ही तैयार नहीं है. इसलिए किसानों के पास इसे डंप करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
धर्मपुरी में टमाटर की बंपर खेती
कोयंबटूर के धर्मपुरी एरिया में अनुकूल मौसम के कारण इस बार टमाटर की बंपर खेती हुई है. धर्मपुरी में 9,300 एकड़ में टमाटर की खेती होती है. जिले में हर साल औसतन 60 टन से अधिक का उत्पादन होता है. इस साल शुरू में टमाटर के भाव आसमान छू रहे थे. ज्यादा भाव के कारण भी टमाटर के बुआई क्षेत्र में इजाफा हुआ.