,लखनऊ। दीपावली (24 अक्टूबर) के ठीक पहले नवाबों के शहर लखनऊ में आप अपने हुनर से माटी
में जान डालने वाले कलाकारों के हुनर का दीदार कर सकेंगे। 14 अक्टूबर से 23 अक्टूबर
तक यहां गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी के परिसर में उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड
की ओर से माटी कला मेला आयोजित होगा। इसमें सभी प्रमुख जिलों के माटी कलाकार
अपने उत्पादों के पूरे रेंज के साथ आएंगे। हर जिले के उत्पादों के डिस्पले के लिए स्टॉल
उपलब्ध कराए जाएंगे। इन स्टॉलों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यही नहीं, माटी के
फनकारों के रहने का खर्च भी माटी कला बोर्ड ही वहन करेगा।
उपलब्ध होगी विशिष्ट शिल्प व परंपरा के उत्पादों की पूरी रेंज
माटी कला मेले में खासकर गोरखपुर के टेरोकोटा, आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी और खुर्जा के
मिट्टी के कुकर और कड़ाही के साथ आगरा, लखनऊ, कुशीनगर, मीरजापुर, चंदौली, उन्नाव,
बलिया, कानपुर, पीलीभीत, इलाहाबाद, वाराणसी, बादां और अयोध्या के मिट्टी के बने खास
उत्पाद अपने पूरें रेंज में उपब्ध होंगे। दीवाली के पहले हो रहे इस मेले में स्वाभाविक है कि
लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और डिजायनर दीये खास आकर्षण होंगे। वह भी अपनी विशिष्ट
शिल्प व परंपरा के अनुसार बने हुए।
जिलों को दी गईं स्टैंडर्ड साइज की मास्टर डाइयां
इसके लिए इस साल हर जिले में 8 इंच की स्टैंडर्ड साइज के लक्ष्मी-गणेश की मास्टर डाइयां
उपलब्ध कराई गईं हैं। समूह में इनसे मूर्तियां बनाई जा सकेंगी। साथ ही जरूरत के अनुसार
इनसे डुप्लीकेट डाइयां बनाकर उत्पादन को उसी गुणवत्ता के साथ बढ़ाया जा सकता है।
पिछले साल सिर्फ 37 जिलों को ही ये डाइयां उपलब्ध कराई गईं थी। इस तरह की डाइयां
खादी बोर्ड के लखनऊ, मऊ, इलाहाबाद, आजमगढ़, बस्ती,जालौन, नजीमाबाद, मथुरा, शाहजहांपुर
और गोरखपुर स्थित प्रशिक्षण केंद्रों को भी उपलब्ध कराई गईं हैं।
जीवंत प्रदर्शन के साथ होंगे तकनीकी सत्र
माटी कला मेले में सिर्फ संबंधित जिले के उत्पादों की भरपूर रेंज ही नहीं होगी, बल्कि किस
तरह उनको बनाया जाता है, उसका जीवंत प्रदर्शन भी होगा। आधुनिक चॉक पर अलग-अलग
जिलों के कलाकारों को ऐसा करने का मौका दिया जाएगा। साथ ही तीन दिन तकनीकी सत्र
के होंगे। इसमें संबंधित विषय के जाने-माने एक्सपर्ट्स निर्माण के दौरान उत्पाद की गुणवत्ता,
पैकेजिंग, विपणन खासकर ई-मार्केटिंग के बारे में जानकारी देंगे।
बोर्ड की तरफ से दिया गया प्रशिक्षण
बदले वैश्विक परिदृश्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है कि इस बार की
दीपावली में कुछ ऐसा किया जाय कि चीन से आयातित लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और
डिजायनर दीयों की बजाय अपने यहां के बने ये उत्पाद ही अधिक से अधिक बिकें। इसमें
सबसे बड़ी चुनौती उत्पादों की फीनिशिंग और दाम को लेकर थी। इसके लिए बोर्ड ने इनको
बनाने वालों के लिए प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित किये। उनकी मांग के अनुसाद लक्ष्मी-
गणेश की मूर्तियों के स्टैंडर्ड साइज के मॉडल तैयार किये गये। इन मॉडलों को सांचे में ढालने
के लिए कोलकाता से सबसे बेहतरीन किस्म की प्लास्टर ऑफ पेरिस की डाई, रंग चढ़ाने के
लिए स्प्रे पेंटिंग मशीन और दीया बनाने की मशीन उपलब्ध कराई गयी।
अंत्योदय के मूल मंत्र को साकार करने को माटी कला बोर्ड का गठन
समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति की खुशहाली ही अंत्योदय का मूल मंत्र है। पुश्तैनी रूप
से सदियों से माटी को आकार देने वाले कुम्हार समाज के अंतिम वर्ग से ही आते हैं। इनकी
पहचान कर प्रशिक्षण एवं टूलकिट देकर इनके हुनर को निखारने, उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने,
कीमतों को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए योगी सरकार के पहले कार्यकाल में माटी
कला बोर्ड का गठन किया गया। गठन के बाद इस विधा से जुड़े करीब 47 हजार कारीगरों
की पहचान की गई। मिट्टी इनके लिए बेसिक कच्चा माल है। इसकी कमी न हो, इसके लिए
इस समुदाय के करीब 3000 लोगों को स्थानीय स्तर पर तालाबों एवं पोखरों के पट्टे
आवंटित किए गये। कम समय में अधिक और गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करने के लिए 8335
कारीगरों को प्रशिक्षण के बाद अत्याधुनिक उपकरण विद्युतचालित चॉक, तैयार उत्पाद को
सुरक्षित तरीके से सुखाने के लिए रेक्स, मिट्टी गुथने की मशीन, यूटिलिटी के सामान की
बढ़ती मांग के मद्देनजर जिगर जॉली मशीन, लक्ष्मी-गणेश और डिजाइनर दिया बनाने की
स्टैंडर्ड साइज की डाइयां दी गईं।
माइक्रो सीएफसी के लिए दस लाख का अनुदान
एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार माइक्रो कॉमन फैसिलिटी
सेंटर (सीएफसी) के लिए 10 लाख का अनुदान देती है। 2.5 लाख रुपये इसे लगाने वाली
संस्था को खुद वहन करना होता है। कन्नौज, पीलीभीत, बाराबंकी, रामपुर में माइक्रो कॉमन
फैसिलिटी सेंटर बन चुके हैं। अमरोहा,मेरठ और गौतमबुद्ध नगर में प्रस्तावित हैं। यही नहीं,
माटी कलाकारों के हुनर एवं श्रम के सम्मान के लिए हर साल राज्य एवं मंडल स्तर पर
सम्मान समारोह भी आयोजित होता है। अब तक 171 लोगों को पुरस्कृत भी किया जा चुका
है।
माटी कला बोर्ड से मिली माटी कलाकारों को नई पहचान
मिट्टी के उत्पाद तैयार करने के पेशे से जुड़े परंपरागत लोगों का जीवन बेहतर हो, मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है। उनके निर्देश और मार्गदर्शन के क्रम में माटी कला बोर्ड
लगातार इनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, गुणवत्ता में इनको बेहतर बनाकर बाजार में प्रतिस्पर्धी
बनाने का प्रयास कर रहा है। उनको प्रोफेशनल लोगों और निफ्ड जैसी संस्थाओं से जोड़कर
प्रशिक्षण दिलाया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्नत किस्म के टूलकिट, बिजली चालित चॉक, पग
मिल और तैयार माल समान रूप से शीघ्र पककर तैयार हो इसके लिए आधुनिक भट्ठी भी
उपलब्ध कराई गई।