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गुड़ी पड़वा पर मायानगरी में दिखा अलग ही रंग, महिलाओं को बुलेट पर देख हुए सभी दंग

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मुंबई। माया नगरी मुंबई को ऐसे ही नही कहा जाता है दरअसल यहां की हर बात ही निराली होती है यहां पर दही हांडी पर्व, गणपति आदि पर्व जिस तरह से मनाये जाते हैं वह पूरे देश के लिए अपने आप में एक मिसाल है। इसी क्रम में आज मायानगरी में हिंदू नववर्ष का बड़े जोश के साथ स्वागत किया गया। इस मौके पर महिलाएं नवारी पहने नजर आईं। खासतौर पर मुंबई में तो इसका अलग ही रंग नजर आया। गिरगांव में महिलाओं की टोली बुलेट की सवारी करती नजर आई। पारंपरिक परिधान में सजी-धजी महिलाओं को बुलेट चलाता देख हर कोई देखता ही रह गया। पारंपरिकता के साथ आधुनिकता का खूबसूरत मेल नजर आया।

गौरतलब है कि पूरे महाराष्ट्र में चैत्र महीने की प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। यहां के लोग अपना नया साल हिंदू चंद्र पंचाग के मुताबिक चैत्र महीने के पहले दिन मनाते हैं। कोंकणी समाज इसे संवत्सर कहता है।

जिसके तहत एक लकड़ी के टुकड़े को लाल या पीले रंग के कपड़े से ढंका जाता है। उसके बाद चांदी, तांबा और कांसे के कलश को इस लकड़ी के एक सिरे पर उल्टा लटकाया जाता है। इस कलश के बाहर हल्दी और कुमकुम लगाया जाता है। इसे फिर घर के दरवाजे या खिड़की पर लटकाया जाता है, ताकि हर आने-जाने वाला इसे देख सके। इतना ही नही गुड़ी के साथ नीम के पत्ते और शक्कर घाटी बांधी जाती है। जो जीवन के मीठे और कड़वे अनुभवों के बारे में बताती है।

ज्ञात हो कि गुड़ी पड़वा से कई दिन पहले लोग अपने घर, आंगन साफ करते हैं। उसके बाद गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने मुख्य दरवाजे के बाहर रंगोली बनाते हैं। वहीं पूरे घर को फूलों से सजाया जाता है। वहीं आम के पत्तों से बंधनवार और तोरण बनाए जाते हैं। जिसे दरवाजे के ऊपर लगाया जाता है।

साथ ही गुड़ी पड़वा के दिन लोग सुबह जल्दी नहाने के बाद पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। महिलाएं जहां नवारी पहनती हैं, वहीं पुरुष धोती-कुर्ता पहनते हैं। इसके बाद घर के बाहर लटकी गुड़ी की पूजा की जाती है और नीम की पत्ती, गुड से बनी खाद्य साम्रगी लोग एक दूसरे को खिलाते हैं। वहीं इस दिन घरों में पूरण-पोली और श्रीखंड बनती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम रावण को हराने के बाद माता जानकी के साथ वापस अयोध्या लौटे थे।

 

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