मुंबई! पिछले कुछ वक्त से मुंबई में बिल्लियों की संख्या में इतनी तेजी से इजाफा हुआ है कि अब उनकी संख्या नियंत्रित करने की आवाज उठने लगी है. इस क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ भी नसबंदी कार्यक्रम चलाने की बात कर रहे हैं.
Save Our Strays नाम का एनजीओ चलाने वाली शिर्ले मेनन के मुताबिक, अब बिल्लियों के रेस्क्यू को लेकर ज्यादा फोन कॉल आते हैं. बांद्रा में रहने वाली शिर्ले की मानें तो पहले जहां 70 फीसद फोन कॉल कुत्ते के रेस्क्यू को लेकर आते थे, वहीं अब ज्यादातर फोन बीमार, लावारिस बिल्लियों को लेकर आ रहे हैं. इनकी संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि नौबत नसंबदी कार्यक्रम चलाने की आ गई है.
मुंबई में निजी तौर पर बिल्लियों की नसंबदी का काम हो रहा है. हर हफ्ते आठ से दस बिल्लियों की नसबंदी होती है. हालांकि प्राइवेट क्लीनिक की मदद नहीं मिलने से एनजीओ इस काम को सही तरीके से अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. एक बिल्ली की नसबंदी में ढाई हजार से दस हजार रुपए का खर्चा होता है. ऐसे में बिल्ली पालने वाले लोग नसबंदी के खर्चे को देखते हुए अपने हाथ खींच लेते हैं.