नई दिल्ली। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सी.बी.ई.सी.) ने व्यापारियों के फर्जी कर ‘क्रेडिट’ दावों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाया है। जिसके तहत सी.बी.ई.सी. अधिकतम 50,000 करदाताओं की कर ‘क्रेडिट’ मांग की जांच करेगा। यह काम वह उन करदाताओं के दावों की जांच से शुरु करेगा जहां पर जी.एस.टी. व्यवस्था में परिवर्तन की अवधि का कर क्रेडिट (ट्रांजिशनल क्रेडिट) 25 लाख रुपए से अधिक है।
मिली जानकारी के मुताबिक इन अनुचित ट्रांजिशनल क्रेडिट दावों का सत्यापन (वेरिफिकेशन) 4 चरणों में किया जाएगा। पिछले साल जुलाई में जी.एस.टी. व्यवस्था में परिवर्तन के दौरान करदाताओं को TRAN-1 फॉर्म भरने की अनुमति दी गई थी ताकि वह जी.एस.टी. लागू होने से पहले अपने आखिरी रिटर्न में दर्शाए गए क्रेडिट की बची बकाया राशि के आधार पर कर क्रेडिट के लिए दावा कर सकें।
गौरतलब है कि सी.बी.ई.सी. ने इसी संबंध में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ 50,000 करदाताओं की सूची साझा की है कि जिसमें वह फर्जी ट्र्रांजिशनल कर क्रेडिट दावों का सत्यापन कर सकें। सूत्रों के अनुसार ऐसा संदेह है कि बहुत से कारोबारियों ने सिर्फ ट्रांजिशनल क्रेडिट दावे का लाभ लेने के लिए ही जी.एस.टी. में पंजीकरण कराया है।
ज्ञात हो कि इस प्रक्रिया के पहले चरण में टैक्स ऑफिसर उन ट्रांजिशनल क्रेडिट क्लेम का सत्यापन करेंगे जहां ग्रोथ 25 फीसदी से ज्यादा की रही है या फिर प्राप्त किया गया क्रेडिट 25 लाख रुपए से ज्यादा है। यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया जून में पूरी की जाएगी और इस संबंध में एक स्टेट्स रिपोर्ट 10 जुलाई तक सी.बी.ई.सी. को सौपी जाएगी।