नई दिल्ली। केन्द्र संभवतः जल्द ही नालायक औलादों पर बखुबी शिकंजा कसने की तैयारी में है। जिसके तहत मां-बाप को प्रताड़ित कर सम्पत्ति अपने नाम कर लेने के बाद उन्हें बेसहारा छोड़ने वाले बच्चों को सिर्फ एक शिकायत पर सम्पत्ति मां-बाप को लौटानी पड़ेगी।
गौरतलब है कि केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता न्यायालय इसके लिए माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक देखभाल एवं कल्याण अधिनियम 2007 में संशोधन करने जा रहा है। इस बाबत जानकारी देते हुए मंत्रालय के ही एक सूत्र ने बताया कि लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं जिनमें बच्चों ने सम्पत्ति अपने नाम करवा लेने के बाद बूढ़े माता-पिता को घर से निकाल दिया है। जिसको गंभीरता से लेते हुए केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए अधिकारियों को अधिनियम में बदलाव करने के निर्देश दिए थे ।
सूत्र के मुताबिक मंत्रालय की ओर से अधिनियम में संशोधन को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जल्द ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। जहां से मंजूरी के बाद इसे राज्यों को भेज दिया जाएगा। इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य की होगी।
मां-बाप को जीवनयापन के लिए बच्चों की ओर से हर माह दी जाने वाली वित्तीय मदद (10 हजार रुपए) की सीमा भी हटाई जाएगी. गैर-सरकारी संगठन हैल्पएज ने 2014 में जारी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि भारत में 10 करोड़ से अधिक बूढ़े लोग रहते हैं। इनमें से करीब एक करोड़ लोगों को उनके ही बच्चों ने सम्पत्ति विवाद के चलते घर से बाहर निकाल दिया है।
राज्यों में मैंटीनैंस ट्रिब्यूनल या अपीलेट ट्रिब्यूनल में पीड़ित मां-बाप इसकी शिकायत कर सकेंगे। इन ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट के अधिकार हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 53.2 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जिनमें माता-पिता से दुर्व्यवहार का कारण सिर्फ सम्पत्ति है।