मॉस्को। रूस ने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन (ईयू) के कई देशों से अपने राजनयिक निष्कासित किए जाने पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। रूस ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के भारी दबाव के चलते सहयोगी देशों ने उसके राजनयिकों को निकाला है, इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा। अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस पर रासायनिक हथियार नर्व एजेंट से हमले को लेकर सोमवार को रूस के 100 से ज्यादा राजनयिक निकाल दिए थे।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने उजबेकिस्तान में कहा, “यह भारी दबाव का परिणाम है। हम इसका जवाब देंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है। कोई भी इस तरह का खराब बर्ताव नहीं चाहता और हम भी ऐसा नहीं चाहते।” रूसी न्यूज एजेंसी स्पुतनिक के अनुसार, उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाब्कोव ने कहा, “अमेरिका ने रूस पर फिर झूठे आरोप लगाए हैं। हमने रचनात्मक काम के लिए विकल्प खुले रखे हैं और इसे जारी रखेंगे लेकिन मौजूदा हालात में अमेरिकी फैसले को कड़ा जवाब देना जरूरी है।”
राजनयिकों की आड़ में खुफिया अधिकारियों के कार्य करने के शक में अमेरिका समेत जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड और कई यूरोपीय देशों ने सोमवार को 116 राजनयिकों को निकाल दिया था। यह कदम रूसी डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल (66) और उनकी बेटी यूलिया (33) पर चार मार्च को हुए नर्व एजेंट से हमले के बाद उठाया गया है। दोनों का ब्रिटेन के अस्पताल में इलाज चल रहा है, उनकी हालत गंभीर है। इस घटना के बाद ब्रिटेन पहले ही 23 रूसी राजनयिक निष्कासित कर चुका है।
ऑस्ट्रेलिया ने भी पूर्व रूसी एजेंट पर हमले को लेकर रूस के दो अधिकारियों को अपने से से निकाल दिया है। दोनों अधिकारियों को हफ्तेभर के अंदर ऑस्ट्रेलिया से चले जाने का आदेश दिया गया है।
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस पर केमिकल अटैक को लेकर यूरोपीय देश आइसलैंड ने भी कड़ा रुख अख्तियार किया है। उसने मंगलवार को एलान किया कि रूस में होने वाले फुटबॉल विश्वकप का राजनयिक स्तर पर बहिष्कार किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि आइसलैंड ने रूस के साथ उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता को स्थगित कर दिया है। नतीजन, आइसलैंड के नेता रूस में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं लेंगे। ऑस्ट्रेलिया भी ऐसा ही कदम उठाने पर विचार कर रहा है।