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उपलब्धि: ISRO ने किया जीसैट-6ए सैटेलाइट लॉन्च

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चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज 29 अप्रैल को अपने जीसैट-6ए संचार उपग्रह को चेन्नई से 110 किमी दूर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया। यह उपग्रह मल्टी-बीम कवरेज सुविधा के जरिए भारत को मोबाइल संचार उपलब्ध कराएगा। लॉन्च के लिए उल्टी गिनती बुधवार को ही शुरू हुई और आज शाम 4.56 बजे इसे लॉन्च कर दिया गया। 2000 किलो वजनी इस सैटेलाइट को बनाने में करीब 270 करोड़ रुपयों की लागत आई है।

गौरतलब है कि इसरो द्वारा लॉन्च किया जा रहा यह सैटेलाइट एक हाई पावर एस-बैंड संचार उपग्रह है, जो अपनी कैटेगरी में दूसरा है। भारत इससे पहले जीसैट-6 लॉन्‍च कर चुका है। आज लॉन्च होने वाला यह नया उपग्रह, अगस्‍त 2015 से धरती की कक्षा में चक्‍कर लगा रहे GSAT-6 को सपोर्ट देने के लिए भेजा जा रहा है। इस नए सैटेलाइट में ज्‍यादा ताकतवर कम्‍यूनीकेशन पैनल्‍स और डिवाससेस लगाई गई हैं।

इतना ही नही इस सैटेलाइट में लगा 6 मीटर का काम्पेक्ट एंटीना धरती पर कहीं से भी सैटेलाइट कॉलिंग को आसान बना देगा। इस सैटेलाइट के लॉन्च कर सरकार चाहती है कि देश में छोटे ग्राउंड स्‍टेशन और हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों से कॉलिंग करने की सुविधा का विकास किया जा सके। जीसैट-6ए सैटेलाइट किसी सामान्‍य संचार उपग्रह से बहुत खास है। दरअसल अगर सरल शब्दों में कहें तो जीसैट-6ए भारत में सैटेलाइट आधारित मोबाइल कॉलिंग और कम्‍यूनीकेशन को बहुत आसान बनाने में दमदार रोल प्‍ले करेगा।

ज्ञात हो कि जीसैट-6ए खासतौर पर सेनाओं के बीच दूरस्‍थ स्‍थानों से होने वाली कॉलिंग को आसान बनाएगा। इसरो के मुताबिक यह सैटेलाइट जनरल संचार सेवाओं के लिए किसी ट्रांसपॉन्डर क्षमता को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि यह उपग्रह खास तौर पर रिमोट एरिया में मौजूद सेनाओं की टुकड़ियों के बीच बेहतर संचार प्रणाली विकसित करने में मददगार होगा। इस काम के लिए जीसैट-6ए में लगा 6 मीटर चौड़ा छाते जैसा एंटीना ही रामबाण साबित होगा।

वैसे इसरो द्वारा आमतौर पर भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स में लगे किसी भी एंटीने की तुलना में 6A का एंटीना करीब 3 गुना ज्‍यादा बड़ा और पावरफुल है। इसकी यही क्षमता भारतीय सेनाओं और उनकी टुकड़ियों के बीच हैंडहेल्‍ड डिवायसेस के इस्‍तेमाल से सीधी कॉलिंग को संभव बनाएगी।

छोटे ऐंटीने वाले बाकी किसी भी संचार उपग्रह के द्वारा धरती पर रहते हुए सैटेलाइट कम्‍यूनीकेशन करने के लिए बड़े ग्राउंड स्टेशन की जरूरत होती है, लेकिन यह GSAT-6A इसी समस्या को हल करके सेनाओं के बीच के संचार को आसान और तेज बना देगा। इसका फायदा सेनाओं के ऑपरेशन के दौरान ज्‍यादा कारगर साबित होगा।

 

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