लखनऊ। पिछले काफी लम्बे अरसे से जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को आज अचानक दिल का दौरा पड़ने से हड़कम्प मच गया वहीं इस दौरान उनसे मुलाकात करने पहुची उनकी पत्नी को भी सदमें के चलते दिल का दौरा पड़ गया और दोनों को गंभीर हालत में बांदा के जिला अस्पताल लाया गया जहां उनकी हालत को देखते लखनऊ के लिए रेफर किया गया है। सूत्रों के मुताबिक उनकी हालत मे मामूली सुधार बताया जा रहा है लेकिन अभी उनकी हालत पर अधिकारिक तौर पर कोई खास पुष्टि नही की गई है।
जेल अधिकारियों के मुताबिक आज जब मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी उनसे मुलाकात करने पहुंची तो मुलाकात के दौरान अचानक ही मुख्तार अंसारी की हालत बिगड़ने लगी जिसे देख अचानक बुरी तरह से घबराई उनकी पत्नी की हालत भी बिगड़ने लगी। तत्काल जेल प्रशाशन द्वारा दोनों को तुरंत बांदा जिला अस्पताल ले जाया गया जहां फौरी उपचार के बाद श्री अंसारी को होश आ सका और वह थोड़ा सामान्यहो सके। इसी के साथ उनके उच्च उपचार हेतु शासन और प्रशासनिक स्तर पर विचार विमर्श जारी है। वहीं इस बात को लेकर भी खासी चर्चा है कि आखिर ऐसा क्या और कौन सी बात हुई कि दोनों की हालत अचानक बिगड़ गई।
गैंगेस्टर से राजनीतिज्ञ तक का सफर
माफिया और गैंगेस्टर से राजनीतिज्ञ बने मुख्तार अंसारी गाजीपुर के हैं और मऊ सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मुख्तार ने पहले 2 चुनाव बसपा के टिकट पर जीता और बाद में दो चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते। मुख्तार 2007 में बसपा में शामिल हुए और 2009 का लोकसभा चुनाव वाराणसी सीट से लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
आपराधिक गतिविधियों के कारण बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार को 2010 में पार्टी से निकाल दिया। बसपा से निकाले जाने के बाद मुख्तार ने अपने भाई अफजाल अंसारी के साथ मिल कौमी एकता दल नाम से नई पार्टी का गठन किया। जाति के आधार पर हिंदू वोटों के बंटवारे के कारण मुख्तार को जीत मिलती रही है। मुख्तार के कारण ही मऊ साम्प्रदायिक रुप से संवेदनशील रहा है।
बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के जुर्म में मुख्तार अंसारी अभी जेल में हैं। कृष्णानंद राय पर 29 नवंबर, 2005 को एके 47 रायफल से गोलियां चलाईं गई थी। उनके शरीर से 67 गोलियां पाई गईं थीं। दिनदहाड़े हुई इस हत्या में कुल छह लोग मारे गए थे। कृष्णानंद राय मोहम्मदाबाद सीट से विधायक थे। कृष्णानंद की हत्या के मुख्य गवाह शशिकांत राय की 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी।
वहीं अन्य मामलों के अलावा कृष्णानंद राय की हत्या मामले में मुख्तार मुख्य आरोपी हैं। मायावती को मुख्तार और उनके भाई अफजाल ने ये कहा था कि उन्हें हत्या के मामले में फंसाया गया है। इसी के बाद दोनों बसपा में शामिल किए गए थे। कपिल देव सिंह की 2009 अप्रैल में हुई हत्या के आरोप में मुख्तार और दो अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
बसपा से निकाले जाने और अन्य किसी पार्टी में जगह नहीं मिलने के बाद मुख्तार और उनके भाई अफजाल,सिगबतुल्ला ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया। अब मुख्तार फिर से बसपा में शामिल किए गए हैं। वह वर्तमान में भी बसपा से मऊ से विधायक हैं।