वैसे तो अपने बच्चा की देखभाल से लेकर उसके साथ टाइम बिताने तक का सपना सभी पेरेंट्स देखते है लेकिन कामकाजी पेरेंट्स के लिए बच्चों की देखभाल एक बड़ी समस्या है. ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों की देखभाल के लिए आया या फिर डे-केयर की मदद लेते है. अधिकतर पेरेंट्स अपने बच्चों की डे-केयर में ही डालना चाहते है क्योंकि वहां उसकी देखभाल के साथ उन्हें कुछ-न-कुछ सिखने को भी मिलता रहता है लेकिन जहां बच्चों को डे-केयर में डालने के फायदे है, वहीं कुछ नुकसान भी है.
आज हम आपको बच्चों को डे-केयर में डालने के फायदे और नुकसान बताएंगे, जिनकी जानकारी पेरेंट्स को होना बहुत जरूरी है.
डे-केयर के फायदे
1. बच्चों की सेफ्टी – डे-केयर की सुविधा बिना लाइसेंस के नहीं दी जा सकती. यहां काम करने वाले सभी अनुभवी और प्रशिक्षित होते है. यहां आपके बच्चे की सुरक्षा तो पक्की है. यहां बच्चें की जरूरत की सभी चीजें मौजूद है, जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने में मदद करती है.
2. सस्ता और सरल साधन – वैसे तो आया भी बच्चें की देखभाल के लिए अच्छी है लेकिन आया को रखने के मुकाबले डे-केयर सरल और सबसे सस्ता साधन है. इसलिए ज्यादातर पेरेंट्स घर में आया रखने के बजाएं बच्चों को डे-केयर में डाल देते है.
3. नियम और अनुशासन – डे-केयर में सभी पेरेंट्स और बच्चों के लिए नियम और अनुशासन एक जैसे होते है. जैसे बच्चों को लेकर जाने और लेकर आनेे की जिम्मेदारी स्कूलों में होती है. यहां किसी भी तरह की लापरवाही नहीं चलती. वहीं यहां बच्चे को अनुशासन में रहना भी सिखाया जाता है.
4. बच्चे को पड़ती शेयरिंग की आदत – यहां आपके बच्चे के साथ बाकी बच्चे भी होते है. बच्चों में उसका मन भी लगा रहता है और उसे शेयरिंग की आदत भी पड़ती है, जो उसके भविष्य के लिए अच्छी भी है.
5. विभिन्न प्रकार का ज्ञान – डे-केयर में बच्चों को अलग-अलग ज्ञान दिया जाता है जैसे गाना, डांस और कहानी सुनना अन्य आदि. इससे बच्चे का वहां दिल भी लगा रहता है और उसे कुछ नया सिखने को भी मिलता है.
डे-केयर के नुकसान
1. बच्चों को संक्रमण का खतरा – डे-केयर में बच्चे को इंफैक्शन का खतरा बना रहती है. क्योंकि इतने बच्चों के बीच कब आपके न सा संक्रमण हो जाए कोई नहीं बता सकता है. वहीं खेलने-कूदने और एक-साथ खाने से बच्चों को एक बच्चें से दूसरे को इंफैक्शन हो सकती है.
2. बच्चों से दूरियां बढ़ने का डर – इस समय बच्चे का ज्यादा समय पेरेंट्स से न हो कर डे-केयर में गुजरता है, जिससे बच्चे का दिल भी वहीं लगने लगता है और ऐसे में पेरेंट्स के ममन में डर बना जाता है कि कहीं डे-केयर उनके और बच्चे की दूरियां न बढ़ा दें.
3. निर्णय को प्रभावित करना – डे-केयर आपके बच्चों की देखभाल के निर्णय को प्रभावित कर सकता है. इससे बच्चे का टाइम टेबल काफी प्रभावित होता है, जैसे खाने का टाइम, सोने का समय अन्य आदि. जिससे पेरेंट्स को काफी दिक्कत होती है.