लखनऊ। हाल के राज्यसभा चुनाव की जद्दोहहद से अभी पूरी तरह से आराम नही पाये थे कि प्रदेश में सभी मुख्य दल अब विधान परिषद चुनावों को लेकर कवायद में जुट गये है। जिसके तहत जहां सपा और बसपा जीत के लिए नयी रणनीति बना रही हैं, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा उच्च सदन में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भरपूर प्रयास करेगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त उत्तर प्रदेश एल वेंकटेश्वरूलू द्वारा जारी बयान के अनुसार विधान परिषद की 13 सीटों के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। 9 से 16 अप्रैल तक नामांकन होगा। 17 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच होगी, नामांकन वापसी 19 अप्रैल को हो सकेगी तथा 26 अप्रैल को मतदान की तिथि घोषित की गई है। मतगणना भी 26 अप्रैल को शाम 5 बजे के बाद होगी।
जैसा कि यूपी चुनाव आयोग के अनुसार प्रदेश विधानपरिषद की 13 सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा। वहीं अगर नजर डालें तो वर्तमान में 100 सदस्यों वाली विधानपरिषद में भाजपा के 13 सदस्य, समाजवादी पार्टी के 61 सदस्य, बसपा के 9, कांग्रेस के 2, रालोद का 1 तथा 12 अन्य और 2 सीटें रिक्त हैं।
उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रदेश में हाल के राज्यसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटें जीत कर उत्साह में है और साथ ही अपने सहयोगियों की बदौलत परिषद के चुनाव में भी मजबूत स्थिति में है। वहीं इस चुनाव में जैसा कि एक प्रत्याशी को जीतने के लिए 29 पहली प्राथमिकता के वोट चाहिए। जिसके चलते गणित के अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी संगठन 13 सीटों में से 11 सीटें आसानी से जीत सकते हैं। इसके बाद भी उसके पास 5 अतिरिक्त वोट बचेंगे। जबकि सपा-बसपा गठबंधन आसानी से 2 सीटें जीत जाएगा।
गौरतलब है कि 5 मई 2018 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत 13 विधानपरिषद सदस्य रिटायर होंगे। विधानपरिषद की 12 सीटें 5 मई को खाली हो रही हैं। जबकि एक सीट पहले से ही खाली है। इनमें भाजपा से महेंद्र कुमार सिंह और मोहसिन रजा, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, नरेश उत्तम, राजेंद्र चौधरी, मधु गुप्ता, रामसकल गुर्जर, विजय यादव, उमर अली खान, बहुजन समाज पार्टी से विजय प्रताप, सुनील कुमार चित्तौड़ तथा राष्ट्रीय लोकदल से चौधरी मुश्ताक शामिल हैं। खाली सीट अंबिका चौधरी की है जिन्होंने सपा से बसपा में जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था।