नई दिल्ली। एक बार फिर से आम आदमी को मायूस करते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गुरुवार को ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक की बैठक में 1 के मुकाबले 5 वोट से ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसले मंजूर कर लिया गया। हालांकि, एक तरफ जहां पूरे देश की इस पर नजर थी, वहीं जानकारों का मानना था कि नीतिगत दरों में बदलाव की गुंजाइश कम है।
गौरतलब है कि उर्जित पटेल के नेतृत्व में हुई नए वित्त वर्ष 2018-19 की इस पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई के इस फैसले के बाद रेपो रेट जहां 6 प्रतिशत पर बनी रहेगी वहीं रिवर्स रेपो रेट 5.75 प्रतिशत बनी रहेगी।
साथ ही उद्योग संगठन फिक्की ने अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों को देखते हुए आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई की ओर से अपने तटस्थ रुख पर बने रहने की वकालत की है। संगठन का कहना है, “पिछले कुछ महीनों से, आर्थिक सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं, लेकिन विकास को थोड़ा और बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि मैन्युफैक्चरिंग का उद्धार हो सके और उसमें एक बदलाव देखा जा सके।”
वहीं जब कि एमपीसी ने 5-6 दिसंबर (2017) को हुई अपनी पिछली बैठक में वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इस बैठक में रेपो रेट को छह फीसद पर और रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसद पर बरकरार रखा था।