नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन मीडिया और न्यूज पोर्टल्स की निगरानी करने के लिए हाल ही में एक कमेटी बनाई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव के नेतृत्व में इस में दस सदस्य शामिल होंगे। कमेटी में इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय, गृह मंत्रालय के सचिव और और माय गव (MyGov.) के सीईओ शामिल हैं।
गौरतलब है कि मंत्रालय के आदेश के अनुसार, कमेटी को ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन सामग्री प्लेटफॉर्म के लिए उपयुक्त नीति तैयार करने की सलाह देनी होगी। इसमें डिजिटल प्रसारण को भी शामिल किया गया है, जिसमें मनोरंजन, इन्फोटेनमेंट, न्यूज और मीडिया एग्रीगेटर शामिल हैं। इसके अलावा कमेटी को समान नियमों के लिए अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का विश्लेषण भी करना होगा। आदेश के अनुसार, ऑनलाइन सूचना प्रसारण के क्षेत्र को वर्णित करना होगा, जिसे प्रिंट और टेलीविजन मीडिया के समान नियमों के तहत लाया जाना चाहिए।
वहीं इसके अलावा, केबल टेलीविजन नेटवर्क्स एक्ट 1995 के प्रोग्राम एंड एडवर्टाइजिंग कोड्स के द्वारा प्राइवेट टेलीविजन चैनल्स के कंटेट को नियंत्रित किया जाएगा, जबकि प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है, जिसके अपने खुद के मानदंड हैं।
जैसा कि सरकार का मानना है कि ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के लिए कोई दिशा-निर्देश और मानदंड नहीं हैं। इन माध्यमों के लिए नियमों की सिफारिश करने से पहले कमेटी को एफडीआई मानदंड, केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट और प्रेस काउंसिल द्वारा जारी किए गए मानदंड, न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन द्वारा बनाए गए कोड ऑफ एथिक्स, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए निर्धारित किए गए मानदंडों को ध्यान पर रखना होगा।
ज्ञात हो कि इससे पहले स्मृति ईरानी के मंत्रालय द्वारा फेक न्यूज दिखाने वाले पत्रकारों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार यह कहा गया था कि अगर कोई भी पत्रकार फेक न्यूज दिखाता है तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। हालांकि, मंत्रालय के इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार नहीं किया था।