डेस्क्। आज जब देश में काफी हद तक युवा पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर रहा है और काफी हद तक सेल्फिश और सेल्फ सेन्टर्ड हो गया है ऐसे में कर्नाटक राज्य के बंगलुरू में युवाओं द्वारा ऐसा सराहनीय काम किया गया जो कि न सिर्फ अनुकरणीय है बल्कि अनुसरणीय भी है।
दरअसल यह उन युवाओं की कहानी है जिन्होंने गरीबी और बेरोजगारी के कारण अपनी जन्मभूमि तक छोड़ दी और रोजगार के लिए महानगरों में पलायन कर गए। दिन-रात, मेहनत कर पैसा कमाया। खून-पसीने की कमाई का उपयोग इन युवाओं ने खुद के लिए करने से ज्यादा अपने समाज के उत्थान के लिए करना बेहतर समझा। गरीब मां-बाप के लिए जवान बेटी की शादी सबसे बड़ी चिंता व बोझ होती है।
यह युवा अपने समाज के इन्हीं गरीब परिवारों की चिंता का हरण कर गरीब बहनों की शादी का बोझ खुद उठा रहे हैं। दरअसल, विजयपुर, वीरपुर और सबलगढ़ क्षेत्र में रोजगार के कुछ खास साधन आज भी नहीं हैं। इस कारण इन तीनों तहसीलों में राठौर समाज के अधिकांश युवा रोजगार की तलाश में सूरत और बेंगलुरु तक पलायन कर गए। सैकड़ों युवा 10 से 15 साल से बेंगलुरु में काम कर रहे हैं।
वहां काम कर आर्थिक हालत सुधरी तो अपने पिछड़े समाज की सुध आई। बेंगलुरु में रह रहे युवाओं ने ‘समस्त राठौर समाज समिति बैंगलोर’ नाम से एक संगठन बनाया। इसमें 300 से ज्यादा युवा शामिल हैं जिन्होंने सबसे पहले समाज की गरीब बेटियों की शादी का बीड़ा उठाया। पहले खर्च का अनुमान लगाया जाता है। उसके बाद हर सदस्य अपनी क्षमता के हिसाब से दान देता है। संगठन का एक सदस्य 51 हजार से लेकर 3 लाख रुपए तक का दान देता है।
समिति ने 21 अप्रैल 2015 को प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन मुरैना जिले के सबलगढ़ में किया। 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर 121 बेटियों की शादी धूमधाम से करवाई। 18 अप्रैल को श्योपुर के वीरपुर में दूसरा सम्मेलन है।
युवाओं के इस नेक काम की ख्याति दूर-दूर तक जा पहुंची है। पिछले दिनों श्योपुर आईं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदा बेन को पता लगा कि 18 अप्रैल को इस तरह का विवाह सम्मेलन हो रहा है तो उन्होंने भी इसमें शामिल होने की इच्छा जताई। उसके बाद आयोजन समिति ने जसोदा बेन को सामूहिक विवाह सम्मेलन का मुख्य अतिथि तय किया। जसोदा बेन भी समाज की बेटियों के पांव पूजेंगी।
इस समिति में बेंगलुरु में रह रहे समाज के सभी युवा शामिल हैं। हमारा प्रयास समाज के गरीब परिवारों की मदद करके उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का है। इसी कड़ी में हमने गरीब परिवारों की बहनों की शादी का बीड़ा उठाया है। 18 अप्रैल को 151 बहनों की शादी धूमधाम से करवाएंगे और यह काम लगातार जारी रहेगा।