नई दिल्ली। कांग्रेस समेत 7 विपक्षी दलों की कोशिशों को सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की उस वक्त करारा झटका लगा जब उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वैकेंया नायडू ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। जानकारी के अनुसार उपराष्ट्रपति ने इसे तकनीकी आधार पर खारिज किया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के इस प्रस्ताव में 71 सांसदों के हस्ताक्षर थे जिनमें से 7 सांसद रिटायर हो चुके हैं और इसी को आधार बनाते हुए उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को खारिज किया है। साथ ही उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित भी बताया है।
उन्होंने कहा है कि प्रस्ताव में चीफ जस्टिस पर लगाए गए सभी आरोपों को मैंने देखा और साथ ही उसमें लिखी अन्य बातें भी देखीं। प्रस्ताव में जो फैक्ट बताए गए हैं वो ऐसा केस नहीं बनाते जिससे इस बात को माना जा सकता की चीफ जस्टिस को इन बातों के आधार पर दुर्व्यवहार का दोषी माना जाए।
ज्ञात हो कि इससे पहले उपराष्ट्रपति नायडू इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अपना हैदराबाद का दौरा बीच में छोड़कर रविवार को ही दिल्ली लौट आए थे। रविवार की शाम इस मामले पर उनकी चर्चा लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पीके मलहोत्रा, पूर्व विधायी सचिव संजय सिंह व राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी आदि से हुई थी।
इतना ही नही सूत्रों के मुताबिक देर शाम सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी से भी उनकी मुलाकात हुई। सूत्रों का कहना है कि यह एक प्राथमिक चर्चा थी जिसमें यह देखा गया कि सब कुछ कानून सम्मत है या नहीं।
उपराष्ट्रपति के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता नलीन कोहली ने कहा कि कांग्रेस की सारी बाते हवा में होती है। न्यायपालिका का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
वहीं जबकि चीफ जस्टिस के लिए प्रस्तावित महाभियोग को खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेस करते हुए उपराष्ट्रपति के इस कदम को गैरकानूनी और गलत करार दिया। सिब्बल ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने बिना जांच के ही प्रस्ताव खारिज कर दिया। इसे जल्दबाजी में खारिज किया गया और उन्हें ऐसा करने के लिए गलत सलाह दी गई।