नई दिल्ली। ऊपर वाले के घर देर है पर अंधेर नही इसके तमाम उदाहरण देखे जाते रहे हैं इन्हीं में से एक अब आसाराम पर भी लागू होता नजर आ रहा है। क्योंकि नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में 2013 से जोधपुर जेल में बंद आसाराम को जज मधुसूदन शर्मा ने दोषी करार दिया है। दोषी करार दिए जाने के बाद इस मामले में आसाराम के खिलाफ सजा पर बहस भी पूरी हो गई है और कुछ देर में सजा का ऐलान भी कर दिया जाएगा। इस केस में आसाराम के अलावा दो अन्य शिल्पी और शरतचंद्र को भी दोषी करार दिया गया है वहीं दो अन्य को बरी कर दिया गया है। वहीं दोषी करार दिए जाने पर आसाराम सिर पकड़कर बैठ गया और राम नाम जपने लगा। इस बीच जेल परिसर में एंबुलेस जाते हुए देखी गई जिसके बाद माना जा रहा है कि आसाराम की तबीयत बिगड़ गई है।
गौरतलब है कि आसाराम पर पॉक्सो और अजा-जजा एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं। केस में दोषी ठहराए जाने के बाद आसाराम को 10 साल से उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि आसाराम को किन धाराओं में दोषी करार दिया गया है। फैसले के बाद आसाराम की प्रवक्ता नीलम दुबे ने कहा कि हम अपनी लीगल टीम से चर्चा करेंगे और भविष्य के प्लान पर फैसला लेंगे। हमें न्याय व्यवस्था में भरोसा है। वहीं इससे पहले सुबह 8 बजे जोधपुर कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा, वकील व अन्य अधिकारी सेंट्रल जेल पहुंचें और सजा पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई जेल में बैरक नंबर दो के पास बने बैरक में हुई।
ज्ञात हो कि आसाराम पर पॉक्सो और अजा-जजा एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं। आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त, 2013 को गिरफ्तार किया था और तब से वह जोधपुर जेल में बंद है। आसाराम को दोषी ठहराए जाने पर दस साल तक की सजा हो सकती है। लेकिन, बरी होने पर भी रिहाई नहीं होगी, क्योंकि उसके खिलाफ गुजरात में भी दुष्कर्म का केस दर्ज है।
इतना ही नही क्योंकि आसाराम ने धमकाया था, इसलिए पीड़िता ने दिल्ली जाकर 20 अगस्त, 2013 को कमला नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। वहां से केस जोधपुर रेफर किया गया था। जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त, 2013 को मध्य प्रदेश के इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है।
दरअसल नाबालिग से दुष्कर्म का यह मामला मप्र, उप्र व राजस्थान से ज़ुड़ा है। पीड़िता उप्र के शाहजहांपुर की मूल निवासी है। वह मप्र के छिंदवाड़ा के आश्रम में रह कर पढ़ाई कर रही थी। आसाराम पर आरोप है कि उसने पीड़िता को जोधपुर के पास मनाई स्थित अपने आश्रम में बुलाया और 15 अगस्त, 2013 की रात उससे दुष्कर्म किया।
हालांकि फैसले की पूर्व संध्या पर जेल में आसाराम ने कहा- “अब भगवान से ही उम्मीद है, होई है वही जो राम रचि राखा।” मंगलवार को जोधपुर कलेक्टर रविकुमार सुरपुर व पुलिस उपायुक्त अमनदीप सिंह जेल में व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर ने आसाराम से पूछा- “फैसले को लेकर क्या सोच रहे हो?” इस पर आसाराम ने कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वह मंजूर होगा। वह और उनके समर्थक गांधीवादी विचारधारा के हैं और अहिंसा में यकीन रखते हैं।
लेकिन सुरक्षा के लिहाज से और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जोधपुर छावनी में तब्दील हो गया है। पुलिस की छह कंपनियां भेजी गई हैं। शहर में धारा 144 लगा दी गई है। पुलिस होटलों और धर्मशालाओं की सघन चेकिंग कर रही है। राजस्थान में बने आसाराम के आश्रमों को खाली करा लिया गया है।
पिछले साल हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ दुष्कर्म मामले में फैसला आने के बाद पंचकूला में उसके समर्थकों ने हरियाणा व पंजाब में बड़े पैमाने पर हिंसा की थी। इससे सबक लेकर गृह मंत्रालय ने आसाराम के मामले में कोई चूक नहीं करने की ऐहतियाती कार्रवाई शुरू कर दी है। आसाराम के प्रभाव वाले राज्यों को सतर्क कर दिया गया है। इसी कड़ी में राजस्थान, गुजरात व हरियाणा में कड़ी सुरक्षा के निर्देश दिए गए हैं। गृह मंत्रालय तीनों राज्यों के संपर्क में है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों और पुलिस अधिकारियों से बातचीत की है।
वहीं गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कल कहा था कि गृह मंत्रालय ने तीनों राज्यों से सुरक्षा कड़ी करने और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि फैसले के बाद किसी भी तरह की हिंसा न हो। तीनों राज्यों को संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात करने को भी कहा गया है। गृह मंत्रालय का यह परामर्श डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद हरियाणा, पंजाब तथा चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के मद्देनजर भेजा गया है।
बेहद गंभीर और अहम बात है कि आसाराम पर गुजरात के सूरत में भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को पांच सप्ताह के भीतर सुनवायी पूरी करने का निर्देश दिया था। आसाराम ने 12 बार जमानत याचिका दायर की, जिसे छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान उच्च न्यायालय और तीन बार उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया।